संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण आज से शुरू हो गया है। इस सत्र की शुरुआत हंगामेदार हुई क्योंकि डीएमके सांसदों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की एक टिप्पणी पर विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार बेईमान है और पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया योजना को लागू करने के मुद्दे पर पूरी तरह यूटर्न लेकर राज्य के छात्रों का भविष्य बर्बाद कर रही है।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि केंद्र, राज्य या स्थानीय निकायों के प्रबंधित स्कूलों को मजबूत करने की कल्पना की गई थी। उन्होंने कहा कि संबंधित राज्य को केंद्र सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना होगा कि वो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू करेंगे और बदले में केंद्र सरकार उन्हें फंड देगी।धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी शुरू में इस योजना को लेकर सहमत थे, लेकिन अचानक कुछ सुपर सीएम सामने आए और उन्होंने यू-टर्न ले लिया क्योंकि वो सिर्फ राजनीति करना चाहते हैं।
धर्मेंद्र प्रधान की टिप्पणी के बाद डीएमके सांसद नारेबाजी करने लगे थे। सांसद कनिमोझी ने बयान पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “आपके भाषण से मुझे तकलीफ हुई है। आपके शब्द कि तमिल असभ्य हैं, को वापस लिया जाना चाहिए। डीएमके सांसदों ने कभी नहीं कहा कि वे तीन भाषा नीति को स्वीकार करेंगे। तमिलनाडु सरकार और सांसदों ने कभी भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकार नहीं किया था। मुख्यमंत्री पहले ही साफतौर पर कह चुके हैं कि हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति को नहीं मानेंगे।” इसके बाद शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अगर दुख पहुंचा है, तो मैं शब्द ‘असभ्य’ को वापस लेता हूं।