‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लोकसभा में दूसरे दिन भी विशेष चर्चा जारी है। मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस विषय पर संसद को बताया कि पहलगाम के तीनों गुनाहगारों को ऑपरेशन महादेव में मार गिराया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऑपरेशन महादेव पर कहा कि ऑपरेशन महादेव में सुलेमान उर्फ फैजल, अफगान और जिबरान, ये तीनों आतंकवादी भारतीय सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त अभियान में मारे गए। सुलेमान लश्कर-ए-तैयबा का ए-श्रेणी का कमांडर था। अफगान लश्कर-ए-तैयबा का ए-श्रेणी का आतंकवादी था और जिबरान भी ए-ग्रेड का आतंकवादी था। बैसरन घाटी में जिन्होंने हमारे नागरिकों को मारा था, वह ये तीनों आतंकवादी थे और तीनों मारे गए।
अमित शाह ने कहा कि 1 बजे वहां हमला हुआ था और मैं 5.30 बजे श्रीनगर पहुंच गया था। 23 अप्रैल को एक सुरक्षा मीटिंग की गई और उसमें निर्णय किया गया और इसकी पुख्ता व्यवस्था की गई कि नृशंस हत्या करने वाले हत्यारे देश छोड़कर न भाग पाएं। शाह ने कहा कि 22 मई को हमें सेंसर के माध्यम से आतंकवादियों के होने की पुष्टि मिली। फिर हमारी 4 पैरा के नेतृत्व में, CRPF के जवान और जम्मू कश्मीर के जवानों ने एक साथ आतंकवादियों को घेरने का काम किया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवादियों को भेजने वालों को मार गिराया और ऑपरेशन महादेव ने हमला करने वालों को मार गिराया। मुझे लगा था कि यह खबर सुनकर सत्ताधारी और विपक्षी दलों में खुशी की लहर दौड़ जाएगी, ‘मगर स्याही पड़ गई इनके चेहरे पर’। यह कैसी राजनीति है?”
अमित शाह ने कहा, “कल कुछ कांग्रेस सदस्य चीन का सवाल पूछ रहे थे। मैं पूछना चाहता हूं 1962 के युद्ध में क्या हुआ। 30 हजार वर्ग किलोमीटर हिस्सा चीन को दे दिया गया। उस वक्त भी ऐसी चर्चा हुई थी, तब जवाहरलाल नेहरू ने क्या जवाब दिया कि वहां घास का एक तिनका भी नहीं उगता है तो उसका क्या करना है। इस पर एक सदस्य ने कहा कि आपके सिर पर भी एक बाल नहीं है, उसे भी चीन को दे दें क्या?”
अमित शाह ने आगे कहा, “अमेरिका ने प्रस्ताव दिया था कि चीन को सुरक्षा परिषद में नहीं लिया जाए, लेकिन पंडित नेहरू ने कहा कि हम ये स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि चीन महान देश है। लेकिन आज चीन सुरक्षा परिषद में है, लेकिन हमें आने नहीं दे रहा है। राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन से क्या एमओयू किया था। जब हमारे सैनिक चीन की आंख में आंख डालकर बैठे थे, तब राहुल गांधी चीन के राजदूत के साथ बैठक कर रहे थे।”