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जन की बात ने अन्ना हजारे के आन्दोलन में आये किसानों से की बातचीत, जानिए क्या हैं उनके मुद्दे?

अन्ना आंदोलन की शुरुवात 23 मार्च रामलीला मैदान से सुरू हो चुकी हैं, इस आंदोलन में देश भर के किसान हिस्सा ले रहे हैं । किसानो ने इस आंदोलन को अपनी आवाज सरकार के कानों तक पहुचाने के लिए रामलीला मैदान को चुना है। इसी आंदोलन में कर्नाटक से आए किसान भी देखने को मिले ,उन्ही किसानों से “जन की बात” ने पूछा कि क्या कारण हैं, उन्हें हज़ारो किलोमीटर की दूरी तय कर यहाँ आना पड़ा

एक किसान ने हमसे बताया की स्वामीनाथन कमीशन की रेप्रोत लागू होनी चाहिए जिसमे कहा गया था कि किसानों को अपनी फसल उगाने से बाज़ार ले जाने तक के खर्च का 50 प्रतिशत बढ़ा कर मुआवजा मिलना चाहिए.

जन की बात ने अन्ना हजारे के आन्दोलन में आये किसानों से की बातचीत, जानिए क्या हैं उनके मुद्दे?

एक और किसान ने बताया कि हमे हमारी फसलों का उचित दाम नहीं मिलता और अगर सरकार के पास किसानों की आत्महत्या सम्बंधित आंकड़े हैं तो सरकार कोई कदम क्यूँ नहीं उठाती? उन्होंने बताया कि जब हम अपनी समस्या प्रदेश सरकार को बताते हैं तो वो केंद्र सरकार के पास भेजते हैं और जब हम केंद्र सरकार के पास जाते हैं तो वो हमे प्रदेश सरकार के पास भेजते हैं. जब सरकार बड़े बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ़ कर सकती है तो हमारे क्यूँ नहीं?

जन की बात ने अन्ना हजारे के आन्दोलन में आये किसानों से की बातचीत, जानिए क्या हैं उनके मुद्दे?

वहां मौजूद सभी किसान केंद्र सरकार से खासे नराज दिखे, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने उचित कदम नहीं उठाये. जहाँ प्रदेश में भाजपा की सरकार है वहां केंद्र सरकार किसानों की काफी मदद होती है लेकिन चूँकि कर्णाटक में कांग्रेस की सरकार है इसलिए केंद्र सरकार वहां हमारे कर्ज को माफ़ नहीं कर रही है.

जन की बात ने अन्ना हजारे के आन्दोलन में आये किसानों से की बातचीत, जानिए क्या हैं उनके मुद्दे?

एक और किसान ने यहाँ तक कहा कि अगर मौजूदा सरकार उनके लिए कुछ नहीं करेगी तो पुरे कर्णाटक प्रदेश का किसान एक हो जायेगा और खुदकी राजनीती पार्टी बनाएगा.

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इसके बाद हम बढे पंजाब के किसानों की ओर, वो काफी परेशां दिखे और उन्होंने कहा की देश में किसानों को बहुत परेशान किया जाता है. एक किसान ने हमे बताया की वो 21 फरवरी को अपने अपने ट्रक से पंजाब से निकले थे, लेकिन पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार के आदेश पर रोक लिया और हमे दिल्ली आने से रोका. हमारे आवाज़ रोकने के बहाने हमे बोलने से रोका जा रहा है, लेकिन हम संघर्ष करते हुए आखिरकार दिल्ली आ ही गए. सरकारें चाहती हैं कि किसानो का जमीने छीन जाएँ. जीएसटी का सबसे ज्यादा बोझ किसानों पर ही आया. प्रदेश सरकार ने हमे यहाँ आने से रोका और केंद्र सरकार ने हमे वादा किया था की किसानो की समस्याएँ दूर होंगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

अन्ना आंदोलन

एक और किसान ने कहा कि जो भी सरकार सत्ता में है वो केवल कॉर्पोरेट को बढ़ावा दे रही है और किसानों की बात को नहीं सुन रही है. उन्होंने स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने की दरख्वास्त की. उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब से लाखों किसान यहाँ आन्दोलन के लिए आने वाले हैं. उन्होंने कहा कि वो ख़ुदकुशी नहीं करेंगे, वो लड़ेंगे.

अन्ना आंदोलन

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