जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने राजस्थान घमासान पर अपना एनालिसिस दिया। उन्होंने कहा कि यह हो सकता है कि राजस्थान सरकार 2023 तक न चले। वर्तमान में अगर अशोक गहलोत अपनी कुर्सी बचा भी लेते हैं तो भी वह कुर्सी कितने दिन तक बची रहेगी इसका कुछ अंदाजा नहीं है। तो वहीं पर अगर सचिन पायलट अशोक गहलोत की सरकार को गिराने में कामयाब रहते हैं और उनको कुछ सफलता हाथ लगत है या फिर वह किसी के सपोर्ट से मुख्यमंत्री बनते हैं , तो वह भी 2023 तक सरकार नहीं चला पाएंगे मतलब एक बात स्पष्ट है कि 2023 से पहले राजस्थान में चुनाव हो सकता है।
सचिन के साथ कितने विधायक?
प्रदीप भंडारी ने कहा कि गवर्नर को बहुमत प्रशिक्षण के लिए बुलाना चाहिए। लेकिन हां अभी सचिन पायलट के साथ कितने विधायक हैं वह भी अभी स्पष्ट नहीं है। सचिन पायलट ने दावा किया था कि 30 से अधिक विधायकों का साथ है लेकिन वर्तमान में वह लड़ाई को लीगल लड़ना चाहते हैं, क्योंकि अभी पॉलिटिकली वह मजबूत नहीं दिख रहे हैं। वहीं पर अभी तक सड़कों पर सचिन पायलट के लिए गुर्जर समाज आगे नहीं आया है। तो इस पर भी सचिन पायलट को विचार करना होगा कि क्या गुज्जर समाज पूरी तरह उनके साथ है या नहीं है? इसके साथ ही प्रदीप भंडारी ने कहा कि अगर सचिन पायलट तीसरा मोर्चा बनाते हैं तो वह किस के सपोर्ट से बनेगा क्योंकि वर्तमान में सचिन पायलट सिर्फ 25 के विधायकों के नेता है।
देखना यह भी होगा कि सचिन पायलट के मोर्चे को बीजेपी सपोर्ट करती है या नहीं? वर्तमान में अगर देखें तो राजस्थान में द्विपक्षीय लड़ाई होती आई है और सचिन पायलट के मोर्चा बनाने से त्रिकोणीय लड़ाई होगी। उनको बीजेपी का सपोर्ट चाहिए होगा क्योंकि सचिन पायलट कभी अकेले सीएम नहीं बन सकते हैं। वहीं पर बीजेपी भी इस पूरे घटनाक्रम में वेट एंड वॉच के मूड में है। बीजेपी में भी दो धड़े हैं एक वसुंधरा राजे का दूसरा है न्यू बीजेपी जिसमें गजेंद्र सिंह शेखावत ,राज्यवर्धन राठौड़ है। ये लोग का रिएक्शन क्या रहता है यह भी मायने रखेगा।
प्रदीप भंडारी ने कहा कि सचिन पायलट अगर पद से हटाए जाने के तुरंत बाद अपनी नई पार्टी बना लेते। तो उन्हें पब्लिक सपोर्ट मिलता। लेकिन अब उतना नहीं रह गया है। वहीं पर अगर अशोक गहलोत अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब हो जाते हैं जो कि दिख भी रहा है तो सचिन पायलट के लिए यह हार होगी। अगर अशोक गहलोत अपनी कुर्सी नहीं बचा पाते हैं तो कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। लेकिन बीजेपी को एक बात और ध्यान रखनी पड़ेगी कि जनता क्या सोचती है? क्योंकि 2018 का जनादेश बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ था।