अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य राम मंदिर निर्माण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की खबर के बाद से देश में मंदिर विरोधी बयानों की बाढ़ सी आ गई है।
एआईएमआईएम पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने इसे संविधान के ही विरुद्ध बता दिया है। AIMIM पार्टी के प्रमुख ओवैसी ने पीएम मोदी के भूमि पूजन का हिस्सा बनने पर इसे प्रधानमंत्री पद की संवैधानिक शपथ का उल्लंघन बताया है।
यही नही अब तो ओवैसी ने दो कदम ओर आगे निकलते हुए संविधान की प्रति में चित्रों को लेकर ट्वीट किया जिसमे उन्होंने बताया कि, ‘उसी प्रति में टीपू सुल्तान, गांधी जी, अकबर, छत्रपति शिवाजी, गुरु गोबिंद सिंह और अन्य के चित्र भी हैं। यह हमारे संस्थापकों का बहुवाद है। संघ इस विविधता को खारिज करता है। जब सरकार का संवैधानिक प्रमुख इस विचारधारा को अपनाता है तो यह धर्मनिरपेक्षता का घोर उल्लंघन है।’
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, संविधान की मूल पांडुलिपि में नंदलाल बोस का बनाया श्रीराम का चित्र मौजूद है, जिसमें लंका विजय के बाद वे लक्ष्मण और सीता के साथ अयोध्या वापस आ रहे हैं।’
यही नही इससे पहले ओवैसी अपने एक अन्य बयान में यह भी बोल चुके है कि, ‘हम भूल नहीं सकते कि 400 साल तक अयोध्या में बाबरी मस्जिद खड़ी रही थी और उसे 1992 में अपराधी भीड़ ने ढहा दिया था.’
ओवैसी का यह बयान देश मे भाईचारे और शांति को भंग करने जैसा है। साथ ही अयोध्या में मंदिर का विरोध सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी विरोध है।