उदयपुर मे एक साधारण से हिंदू दर्जी कन्हैयालाल तेली की दुकान में घुसकर नफरत से भरे रक्त पिपासुओं ने दिन –दहाड़े धारदार हथियार से निर्ममता पूर्वक हत्या कर दी। पूरे देश में दहशत फैलाने के उद्देश्य से हत्या का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी कर दिया। विडियो में प्रधानमंत्री का भी यही हश्र करने कि धमकी दी। हत्यारे, कन्हैया लाल द्वारा भाजपा से निलंबित प्रवक्ता नुपुर शर्मा का सोशल मीडिया पर समर्थन किये जाने के कारण उसको सबक सिखाना चाहते थे।
ये खबर फैलने के बाद आम जन का आक्रोश जब आग की तरह पूरे देश में फैलने लगा तो राजस्थान पुलिस हरकत में आयी और वीडियो में दिख रहे हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया। जनता के भारी आक्रोश को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी मामले की जांच एनआईए को सौंप दी है, हिरासत में लिये गये हत्यारों और उनके मददगारों से पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारियां भी सामने आयी हैं।
इस नृशंस घटना पर हो रही मीडिया बहसों के दौरान भी देश का एक बड़ा सेकुलर वर्ग घटना की निंदा करने में भी अपनी सेकुलर राजनीति के तहत मुस्लिम तुष्टिकरण में लगा था और मुस्लिम दरिंदों का बचाव करते हुए केवल नुपुर शर्मा के बयानों को ही घटना के लिए जिम्मेदार मान रहा था।
आश्चर्यजनक रूप से सुप्रीम कोर्ट के कुछ जज भी इसी सेक्युलर जमात में शामिल नज़र आए और निर्णय के स्थान पर प्रवचन दे डाला । इन जजों ने नुपुर शर्मा को उदयपुर की घटना सहित देश के आज के खराब वातावरण के लिए पूरी तरह नुपुर को ही जिम्मेदार बताकर देश से माफी मांगने की बात कही और यह भी कहा है कि एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने अभी तक उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया ?
मान भी लिया जाये कि सभी फसादों के लिए नुपुर ही जिम्मेदार हैं तो फिर नूपुर को उकसाने वाले तस्लीम रहमानी को गिरफ्तार करने का आदेश माननीय न्यायलय ने क्यों नहीं दिया ? ओवैसी और तौकीर रजा जैसे लोग क्यों खुले घूम रहे हैं? सबा नकवी, महुआ मोइत्रा, रतन लाल जैसे तमाम नाम हैं जिन्होंने हिन्दू आस्था,प्रतीक और देवी देवताओं का अपमान किया इन्हें क्यों खुला घूमने दिया जा रहा है? माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जिस प्रकार से एकतरफा कड़ी टिप्पणी करी हैं उससे न्यायपालिका पर भी लोग संदेह ही करेंगे और उसका सम्मान कम होगा ।
राजस्थान में जो कुछ भी हुआ उसके लिए किसी भी सीमा तक जाकर मुस्लिम तुष्टिकरण पर उतारू राज्य की कांग्रेस सरकार भी कम जिम्मेदार नहीं है। इस सरकार ने कुछ माह पहले ही पीएफआई जैसे कुख्यात संगठन को कोटा मे रैली करने की इजाजत दे दी थी और उस रैली में हिंदू समाज, भारत सरकार, भाजपा व संघ के खिलाफ खूब जमकर जहर उगला गया लेकिन हिंदू समाज शांत रहा । नुपूर शर्मा की टिप्पणियों से काफी पहले राजस्थान में हिन्दुओं पर अत्याचार की एक के बाद एक कई घटनाएं घटीं लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण में अंधी हो चुकी राजस्थान सरकार के निकम्मेपन के कारण कटटरपंथियो के हौसले बुलंद होते रहे जिसकी परिणति कन्हैयालाल के बलिदान में हुयी ।
इसका एक उदाहरण अजमेर दरगाह के खादिम सलमान द्वारा नूपुर शर्मा का सिर काटने वाले को अपना मकान देने की घोषणा के बाद पुलिस सलमान को अरेस्ट करके लाते समय उसको बचने के लिए शराब के नशे मे बोल दिया था ये ट्यूशन पढाती एक वायरल विडियों मे दिखाई दे रही थी ।
कांग्रेस सरकार के संरक्षण में राजस्थान में पीएफआई अपनी जड़े जमा चुका है। हिन्दुओं पर बिना कारण सुनियोजित हमले करना उनका रोज़ का शगल है। करौली में नवरात्र के दिन हिंसक झड़पें हुई जिसमें पुलिस ने समुदाय विशेष पर कोई कार्यवाही नहीं की अपितु पीड़ितों को ही जेल में डाल दिया। इसी प्रकार भीलवाड़ा और जोधपुर में तनाव के हालात बने लेकिन प्रशासन ने पीड़ित हिन्दुओं के विरुद्ध ही कार्यवाही कर दी जिसके कारण हिंदू समाज का आक्रोष बढ़ता ही जा रहा है। कन्हैया लाल की जघन्य हत्या और उस पर न्याय के अधीश कि टिपण्णी ने हिन्दू समाज के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है किन्तु संभवतः ये नमक हिन्दू समाज को एकजुट होकर खड़े होने का साहस देने का काम करेगा।