भाजपा ने आदिवासी समाज की महिला को अपना राष्ट्रपति प्रत्याशी बनाकर एक तीर से कई निशाने साध लिये हैं। आगामी दिनों में भाजपा को इसका राजनैतिक लाभ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ झारखंड गुजरात और ओड़िशा जैसे आदिवासी बहुल राज्यों में मिलेगा। राष्ट्रपति पद पर आदिवासी समुदाय की एक जुझारू महिला के होने का मात्र प्रतीकात्मक महत्व नहीं होगा बल्कि यह जनजातीय समाज के सर्वांगीण और वास्तविक विकास का भी स्वर्णिम अवसर बनेगा। इस निर्णय के साथ ही भारतीय जनता पार्टी अपनी शहरी पार्टी होने कि छवि से बहुत आगे निकल गयी है।
यह भारत जैसे महान लोकतांत्रिक देश व भाजपा जैसे सर्व समावेशी राजनैतिक दल में ही संभव है कि बेहद गरीबी व जमीन से उठी एक आदिवासी महिला राष्ट्रपति पद को सुशोभित करने जा रही हैं। 25 वर्ष के बेदाग राजनैतिक जीवन जीने वाली भारतीय संस्कारों से ओतप्रोत राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू झारखंड का राज्यपाल बनने के पहले ओड़िशा में दो बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री के रूप में कार्य कर चुकी हैं । अपने पूरे कार्यकाल में वह कभी विवादों में नहीं रहीं। झारखंड के जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था ,स्वास्थ्य से जुड़े मुददों पर वह हमेशा सजग रहीं।
वह देश की ऐसी पहली महिला राष्ट्रपति उम्मीदवार है जिनका जन्म आजादी के बाद हुंआ है। द्रौपदी मुर्मूं का जन्म 20 जून 1958 को ओड़िशा के मयूरभंज के एक आदिवासी परिवार में हुआ। रामा देवी वीमेंस कालेज, भुवनेश्वर से बीए की डिग्री लेने के बाद उन्होंने एक स्कूल शिक्षिका के रूप मे निःस्वार्थ सेवा की। ओड़िशा के राज्य सचिवालय में नौकरी की। 1997 में रायरगंपुर नगर पंचायत का चुनाव जीतकर राजनीति में पर्दापण किया। पार्षद बनने के बाद वह मानवता की सेवा में लगी रहीं। 2000 में रायरंगपुर के के विधायक से वर्ष 2007 के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकांठा पुरस्कार से सम्मानित होने तक उनका राजनीतिक सफर बहुत ही उज्ज्वल व बेदाग रहा जिसका कोई सानी नहीं है। इस प्रकार पार्षद से राष्ट्रपति पद तक उनकी यात्रा देश की सभी आदिवासी महिलाओं के लिए एक आदर्श व प्रेरणा भी हैं।
भारत ने विश्व को एक बार फिर दिखा दिया है कि यहां रंग, जाति, भाषा, धर्म, जाति, संप्रदाय का कोई भेद नहीं चलता ,देश में सबसे बड़े भवन में दशकों तक पर्याप्त भोजन और वस्त्रों से भी दूर रहे समुदाय भी पहुँच सकता । जब देश में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है उस समय एक आदिवासी समाज की महिला का राष्ट्रपति भवन तक पहुंचना एक सुखद संदेश है।
द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति भवन तक पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की एक शुभ घटना है। द्रौपदी मुर्मू के नामांकन पत्र भरने के समय, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, ”राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी की देश भर में और समाज के सभी वर्गो द्वारा सहराहना की जा रही है। जमीनी समस्याओं के प्रति उनकी समझ और भारत के विकास को लेकर उनकी दृष्टि स्पष्ट है। द्रौपदी मुर्मू की जीत सुनिश्चित हैं अब औपचारिक घोषणा होनी बाकी हैं.