संसद का बजट सत्र आज से शुरू हो गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पहली बार संसद के ज्वाइंट सेशन को संबोधित किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने अभिभाषण के दौरान कहा कि सरकार की नई पहल के परिणामस्वरूप हमारा रक्षा निर्यात छह गुना हो गया है। मेड इन इंडिया अभियान और आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता का लाभ देश को मिलना शुरू हो चुका है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा की, आज भारत में इनोवेशन और टेक्नोलॉजी के जरिए जनकल्याण को सबसे पहले रखने वाली सरकार है। महिलाओं की हर बाधा को दूर करने वाली सरकार है। प्रगति के साथ प्रबुद्धि को संरक्षण देने वाली सरकार है। अपनी बेसिक भूमिका को लेकर आत्मविश्वास से आगे बढ़ने वाली सरकार है। मैं देशवासियों का आभार व्यक्त करती हूं कि उन्होंने लगातार 2 बार स्थिर सरकार चुनी। सरकार ने देशहित को सर्वोपरि रखा। सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर आतंकवाद पर कठोर प्रयास, एलओसी से लेकर एलएसी तक हर बुरे प्रयास को खत्म किया। आर्टिकल 370 से लेकर तीन तलाक तक सरकार की पहचान निर्णायक फैसले लेने वाली सरकार बनी।
आज सरकारी कामों में टेंडर और खरीद के लिए ई-मार्केट प्लेस की व्यवस्था है। इसमें 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का ट्रांजैक्शन हुआ। राष्ट्रनिर्माण में ईमानदार योगदान देने वालों को सम्मान दिया जाता है। इनकम टैक्स फाइलिंग में जटिलता खत्म कर देशवासियों का जीवन आसान बनाया गया। कैश लेस से व्यवस्था में पारदर्शिता आई। आज ITR भरने के कुछ दिन भीतर रिटर्न मिलता है। जनधन, आधार, वन नेशन-वन राशन जैसे स्थायी सुधार किए हैं। बीते सालों में डिजिटल इंडिया के तौर पर पारदर्शी व्यवस्था तैयार की। 300 से ज्यादा योजनाओं का पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंचता है। 27 लाख करोड़ से ज्यादा की रकम पहुंचाई गई है। वर्ल्ड बैंक कहती है इन्हीं योजनाओं के चलते भारत कोरोना काल में लोगों को गरीबी से बचा पाया है।
जब भ्रष्टाचार रुकता है और टैक्स की पाई-पाई का सदुपयोग होता है तो भारत सरकार को भी गर्व होता है। मतदाता चाहता है कि योजनाएं ऐसी हों, जिनसे समस्या का स्थायी समाधान हो।
गरीबी हटाओ केवल नारा नहीं है, सरकार गरीब की चिंताओं का समाधान कर रही है। उसे सशक्त बना रही है। गरीबी का बहुत बड़ा कारण बीमारी होती है। बीमारी से गरीब परिवार को हौसला टूट जाता है। पीढ़ियां कर्ज में डूब जाती है। इसके लिए आयुष्मान योजना शुरू की गई। इसके तहत 50 करोड़ से ज्यादा देशवासी मुफ्त इलाज पा रहे हैं।
आज देश के 9 हजार जन औषधि केंद्रों में दवाएं दी जा रही है। इससे 20 हजार करोड़ रुपए बचे हैं। गरीबों को इन दोनों योजनाओं से एक लाख करोड़ की मदद मिली है।
ग्रंथों में लिखा है ये अपना- ये पराया की सोच सही नहीं होती। सरकार ने हर वर्ग के लिए काम किया है। कुछ साल में मूल सुविधाएं शत प्रतिशत आबादी तक पहुंच चुकी है या लक्ष्य के करीब है। कृषि योजनाओं का लाभ सही लाभार्थियों को मिले, कोई वंचित ना हो। कोरोना काल के दौरान दुनियाभर में गरीब के लिए गुजारा मुश्किल हो गया था। भारत उन देशों में से एक है, जिसने गरीब को बचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। कोशिश की कि कोई गरीब भूखा न सोए।
पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को हम आगे भी चलाएंगे। ये एक संवेदनशील और गरीब हितैषी सरकार की पहचान है। योजना के तहत गरीबों को मुफ्त अनाज के लिए साढ़े तीन लाख करोड़ खर्च कर चुकी है। आज इस योजना की प्रशंसा पूरे विश्व में हो रही है। सरकार ने हर उस समाज की इच्छा को पूरा किया जो सदियों से वंचित रहा था। गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासियों की इच्छा पूरी कर उन्हें सपने देखने का अवसर दिया। कोई काम और प्रयास छोटा नहीं होता। विकास में सबकी भूमिका है। रेहड़ी, ठेले, फुटपाथ पर बड़ी संख्या में लोग व्यापार करते हैं। विकास में इन साथियों की भूमिका को भी सराहा गया। पहली बार इनको फॉर्मल बैंकिंग से जोड़ा और सस्ते लोन की व्यवस्था की। डिजिटल लेन-देने के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। 40 लाख साथियों को लोन दिया गया।
11 करोड़ छोटे किसान भी प्राथमिकता है। इन्हें मजबूत बनाने के लिए किसान सम्मान निधि के तहत सवा दो लाख करोड़ रुपए से अधिक की मदद दी गई। इनमें 3 करोड़ लाभार्थी इनमें महिलाएं हैं। इससे अभी तक 54 हजार करोड़ रुपए इन महिला किसानों को मिले। छोटे किसानों के लिए फसल बीमा, किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा बढ़ाई गई। पशुपालकों को भी जोड़ा गया।
अनुसूचित जाति के सामाजिक आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। आदिवासियों के लिए जनजाति दिवस मनाया जा रहा है। आज 36 हजार से ज्यादा आदिवासी गांवों को विकसित किया जा रहा है। 400 से ज्यादा एकलव्य मॉडल स्कूल भी खोले गए हैं। 3 हजार से ज्यादा वन धन विकास केंद्र आजीविका का साधन बने हैं। पिछड़ा वर्ग आयोग को OBC की भलाई के लिए हमारी प्रतिबद्धता को जाहिर किया। बंजारा, घुमंतू समुदाय के लिए भी बोर्ड बनाया।
हमने पिछड़े जिलों को विकसित करने का काम किया। 500 ब्लॉक को एस्पिरेशनल ब्लॉक में डेवलप करने का काम किया गया। सरकार ने स्थायी शांति के लिए कदम उठाए। नॉर्थ ईस्ट विकास की नई गति का अनुभव कर रहे हैं। सीमावर्ती गांवों तक सुविधाएं पहुंचाने के लिए वाइब्रेंट विलेज पर काम शुरू किया। सुरक्षा के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया। पिछले कुछ दशकों से बड़ा खतरा बन चुका वामपंथी हिस्सा भी कुछ जिलों तक सीमित रह गया है। सरकार की एक उपलब्धि महिला सशक्तिकरण की रही। नारी शक्ति नाम कविता है। इसे ओडिया की कवि उत्कल भारती ने 100 साल पहले लिखा था। ‘भारत की नारी पृथ्वी पर किसी की तुलना में न तो दीन है ना हीन। उसकी कीर्ति युगों-युगों तक लुप्त नहीं होगी।’ गर्व होता है कि आज हमारी बहनें-बेटियां इस सपने के अनुरूप विश्व में पताका लहरा रही हैं।
हर योजना के केंद्र में महिलाओं के रोजगार, सशक्तिकरण, उत्थान का भाव रहा है। जहां पुरानी मान्यताओं को तोड़ना पड़ा, वहां से भी पीछे नहीं हटे। बेटी बचाओ के तहत बेटियां बढ़ रही हैं। पहली बार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक हुई है। उनका स्वास्थ्य भी बेहतर हुआ है। मां-बच्चों के जीवन को बचाने में भी हम सफल रहे। आयुष्मान की 50 फीसदी लाभार्थी महिलाएं हैं। सरकारी स्कूल में अलग टॉयलेट, सेनेट्री पैड योजना से लड़कियों के ड्रॉप आउट रेट में कमी आई। स्वच्छ भारत से गरिमा बढ़ी और सम्मान भी मिला। शिक्षा नीति में भी कई कदम उठाए गए। ये निश्चित किया है कि किसी भी काम में महिलाओं के लिए बंदिश ना हो। माइनिंग से लेकर सेना में अग्रिम मोर्चे तक उनकी भर्ती पर बल दिया गया। सैनिक और मिलिट्री ट्रेनिंग स्कूलों में बेटियां पढ़ ही हैं। सरकार ने मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ा कर 26 सप्ताह किया। मुद्रा योजना की 70 फीसदी लाभार्थी महिलाएं हैं। इससे उनकी आर्थिक शक्ति बढ़ी। पीएम आवास योजना की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम होने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा। 80 लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूहों से 9 करोड़ महिलाएं जुड़ी हैं। इन्हें लाखों करोड़ की मदद दी गई है।