कर्नाटक में जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं। सियासी अखाड़े में उठा पटक तेज हो चुकी है। मतदान के दिन के करीब किसी भी लिंगायत का कांग्रेस में शामिल होना उस पार्टी के लिए एक बड़ा बढ़ावा और बोनस है जो इस समुदाय को वापस लुभाने की पूरी कोशिश कर रही है। लक्ष्मण सावदी के प्रवेश के बाद, उत्तर कर्नाटक के कई और लिंगायत नेताओं के पक्ष बदलने की उम्मीद है। कांग्रेस के सूत्रों का दावा है पूर्ण बहुमत से बनाएंगे सरकार।
बताते चलें कि येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा 2018 के चुनावों में 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। बीजेपी के 40 लिंगायत उम्मीदवारों ने चुनाव जीता था। दूसरी ओर, कांग्रेस द्वारा मैदान में उतारे गए 43 लिंगायत उम्मीदवारों में से 17 ही अपनी सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रहे थे।
बताते चलें कि उत्तरी कर्नाटक के कई और लिंगायत नेताओं के पाला बदलने की उम्मीद है। गौरतलब है कि कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी बेलगाम जिले की अथानी सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP)से टिकट कटने के बाद शुक्रवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके पहले उन्होंने बेंगलुरु के लिए उड़ान भरी । कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक की और भगवा पार्टी को हराने की कसम खाकर उनके साथ शामिल हो गए।