प्रदीप भंडारी ने अपने ओपिनयन पोल में बताया की कुरबा और मुस्लिम वोट कांग्रेस के साथ दिख रहे हैं। बताते चलें की कर्नाटक के अधिकांश विधानसभा में मुस्लिम और कुरबा वोटरों की संख्या कम नहीं है।
वहीं मुस्लिम नेताओं का कहना है कि कर्नाटक में करीब 20 से 23 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जिसमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है। इन विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की आबादी करीब 13 प्रतिशत है, जो 40 सीटों पर हार और जीत का अंतर तय कर सकते हैं।
उन्होंने कहा विधानसभा चुनाव से पहले कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने राज्य में पिछड़े मुसलमानों को मिलने वाला 4% आरक्षण खत्म कर दिया। इसके साथ ही एक बड़ा दांव खेलते हुए बोम्मई सरकार ने इस 4% कोटे को राज्य के दो प्रमुख समुदायों वोक्कालिगा और लिंगायत के मौजूदा आरक्षण में जोड़ने का ऐलान किया। मुस्लिम समुदाय ने स्वाभाविक ही इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जबकि कांग्रेस ने कहा है कि सत्ता में आते ही वह मुस्लिम कोटा बहाल कर देगी और ये भी एक कारण है कि कांग्रेस को फायदा पहुंच रहा है।
कर्नाटक में जाति पर राजनितिक हलचल हमेशा से होती आई है, वहीं मुस्लिम, कोरबा जातियां भी है, जो किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। अब आने वाला वक्त ही बताएगा की सत्ता किसकी होगी।