महाराष्ट्र में बड़ा राजनीतिक खेल हुआ और एनसीपी के बड़े नेता अजित पवार ने अपने समर्थक विधायकों के साथ बगावत करके एनडीए में शामिल हो गए। इसके साथ ही उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली और उनके समर्थक 8 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर नैतिकता को लेकर चर्चा हो रही है कि अजित पवार ने ठीक नहीं किया। वहीं प्रदीप भंडारी ने एक ट्वीट के माध्यम से उन सभी लोगों को आइना दिखाया जो 2019 के घटनाक्रम पर खुश थे।
प्रदीप भंडारी ने ट्वीट कर लिखा, “महाराष्ट्र में नैतिक शिक्षा देने वालों को यह याद रखना चाहिए कि नैतिकता तब ही पीछे रह गई थी जैसे ही उद्धव ठाकरे ने बाला साहेब के हिंदुत्व को छोड़ दिया और मुख्यमंत्री बनने के लिए एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिला लिया। वे सभी जानते थे कि यह एक इनॉर्गेनिक गठबंधन था और गठबंधन केवल भाजपा (अकेली सबसे बड़ी पार्टी) को सरकार बनाने से रोकना चाहता था।एकमात्र सच्चाई यह है कि भाजपा ने शरद पवार, उद्धव ठाकरे और कांग्रेस की उसी 2019 की ‘नियम पुस्तिका’ का इस्तेमाल किया और महाराष्ट्र में 200 से अधिक सीटों के साथ महायुति का गठन किया।”
Those giving moral lessons in Maharashtra should remember that morality took a backseat the moment Uddhav Thackeray left Balasaheb's Hindutva & joined hands with NCP & Congress to become the Chief Minister. All of them knew that it was an inorganic alliance & the alliance only…
— Pradeep Bhandari(प्रदीप भंडारी)🇮🇳 (@pradip103) July 6, 2023
प्रदीप भंडारी ने आगे लिखा, “यदि शरद पवार 1978 में अपने गुरु वसंतदादा पाटिल की सरकार को बीच में गिराकर महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री बन सकते हैं, जबकि 40 साल बाद उनके साथ भी ऐसा ही हुआ, तो यह अनैतिक कैसे हो गया? नैतिकता केवल उन लोगों पर लागू होती है जो नैतिकता का पालन करते हैं।”