बहुत जल्द देश में अंग्रेजों के बनाये 3 बड़े कानून खत्म हो जाएंगे और उसकी जगह नए भारत के नए कानून ले लेंगे। इसका मतलब ये हुआ कि IPC यानी इंडियन पीनल कोड, CRPC यानी क्रिमिनल प्रोसीजर कोड और तीसरा इंडियन एविडेंस कोड। ये तीनों पुराने कानून खत्म हो जाएंगे। इनकी जगह भारत सरकार के बनाए तीन संशोधित कानून प्रभावी होंगे।
इसके लिए शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किये। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के कानून में ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना और उसे मजबूती देना कानून का मकसद था। जनता को न्याय से उसका सरोकार नहीं था। लेकिन तीनों नए संशोधित कानून भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेंगे।
दूसरी तरफ सरकार की इस कोशिश से AIMIM के मुखिया बैरिस्टर असद्दुदीन ओवैसी नाराज बौखला गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नए कानून से सरकार को गैरजरूरी ताकतें मिलेंगी और जनता के अधिकारों के साथ खिलवाड़ होगा। सवाल ये उठता है कि असदुद्दीन ओवैसी के आरोपों के मायने क्या हैं। कानून में सुधार पर आखिर तकरार क्यों है? आखिर नये कानून पर आपत्ति क्यों जताई जा रही है?
ओवैसी ने क्या कहा?
1) 3 नए कानून सरकार को ज्यादा ताकत देंगे
2) जुर्म, कोर्ट, पुलिस के लिहाज से बड़े बदलाव
3) मासूम लोगों के हक के साथ खिलवाड़
4) मोदी सरकार के तीनों नए कानूनों का विरोध
5) बिना अपील, दलील, वकील वाले हर कानून का विरोध
6) नए कानूनों पर अपना रुख साफ करे विपक्ष
7) विपक्षी दल बताएं कानूनों का साथ देंगे या विरोध करेंगे?
8) स्टैंडिंग कमेटी के सांसद साथ देंगे या विरोध करेंगे?
केंद्र सरकार ने भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में सुधार के लिए शुक्रवार को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए। ये तीनों कानून देश में ब्रिटिश काल से लागू हैं। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार का लक्ष्य न्याय सुनिश्चित करना है, सजा देना नहीं। उन्होंने कहा, जिन कानूनों को निरस्त किया जाएगा, उन कानूनों का फोकस ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना था और उन्हें मजबूती देना था। उन कानून में दंड देने का विचार था, न्याय देना नहीं। अब नए तीनों कानून भारतीय नागरिक के अधिकारों की रक्षा करेंगे।