UBS (Union Bank Of Switzerland) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका-चीन ट्रेड वार, वैश्वीकरण और महामारी संबंधी व्यवधानों के कारण सप्लाई चेन में बदलाव से भारत को लाभ होने की संभावना है ।
जबकि गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कोई भी देश मैन्युफैक्चरिंग में चीन की सफलता को दोहरा नहीं सकता है। इसमें कहा गया है कि भारत को सप्लाई चेन में बदलाव और सुधारों से लाभ हो सकता है। जिसके परिणामस्वरूप देश में रोजगार सृजन की संभावनाएं भी हो सकती हैं।
UBS की चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट तन्वी गुप्ता जैन ने कहा, “ऑप्टिमिस्टिक सिनारियो के तहत 2030 तक विकास दर बढ़कर 6.25-6.75% हो सकती है और ब्लू स्काई सिनारियों के तहत 6.75-7.25% सालाना हो सकती है। जिससे भारत में रोजगार के मौके भी बनेंगे।”
रिपोर्ट में बताया गया कि, कम लागत में मैन्युफैक्चरिंग, स्केल और इंफ्रास्ट्रक्चर में उनके लाभ को देखते हुए, वियतनाम और भारत प्रमुख दावेदार थे। हालांकि निकट अवधि के लिए, UBS इकोनॉमिस्ट ने कहा कि व्यापक आधार पर सुधार अभी होना बाकी है।
“रिजनेबल हेडलाइन ग्रोथ के बावजूद, महामारी के बाद अंतर्निहित आर्थिक सुधार असमान रहता है जब इसे निम्नलिखित के संदर्भ में देखा जाता है:
1) ग्रामीण-शहरी विभाजन
2) मैन्युफैक्चरिंग बनाम सर्विस डेवलपमेंट
3) समृद्ध बनाम कम आय वाली घरेलू मांग
UBS का अनुमान है कि विकास दर धीमी होकर 6.1% रह जाएगी, जबकि पिछले वर्ष यह 7.2% थी। इसमें बताया गया कि फेवरेबल बेस इफेक्ट से पहली तिमाही में विकास दर 7.5-8% तक पहुंचने में मदद मिलेगी। शेष वर्ष के लिए ग्रोथ रेट में 5-6% की औसत वृद्धि के साथ गति में गिरावट आएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है “उच्च सरकारी पूंजीगत व्यय (Govt Capex) और रेसिडेंशियल रियल स्टेट होल्डिंग्स की मांग के कारण पूंजीगत व्यय में ग्रोथ काफी हद तक रुकी हुई है। हालाँकि, निजी कॉर्पोरेट पूंजीगत व्यय में ग्रोथ धीरे-धीरे मगर बनी हुई है।”