संसद के स्पेशल सेशन के बीच सोमवार 18 सितंबर की शाम को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इसकी ऑफिशियल ब्रीफिंग तो नहीं आई है, लेकिन केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके जानकारी दी कि महिला आरक्षण बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
अगर यह महत्वपूर्ण विधेयक संसद के इस विशेष सत्र में आसानी से पारित होकर कानून का रूप ले लेता है तो यह ऐतिहासिक कदम होगा। ध्यान रहे महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण देने वाला यह अहम सुधार करीब तीन दशकों से लंबित था। यह बिल पास कराने की पहली कोशिश 1996 में हुई थी। उस समय इस विधेयक को विरोध झेलना पड़ा था।
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क्या है महिला आरक्षण विधेयक में?
महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है। विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती हैं। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा।
कांग्रेस करेगी बिल का समर्थन
राहुल गांधी ने कहा कि अब दलगत राजनीति से ऊपर उठें। हम महिला आरक्षण बिल पर बिना शर्त के समर्थन करेंगे। संसद के स्पेशल सेशन के पहले दिन जब पीएम मोदी के बाद कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कांग्रेस की पूर्व सरकारों के कामों को गिनाया। इस दौरान सोनिया ने उन्हें टोका और महिला आरक्षण पर बोलने को कहा था।