मिडिल ईस्ट आई की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने इजरायल को खतरनाक हर्मीस 900 ड्रोन की सप्लाई की है। भारत और इजरायल हर्मीस 900 ड्रोन का ज्वाइंट प्रोडक्शन करते हैं। लेकिन कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि इजरायली सेना में भारत में बने हर्मीस 900 ड्रोन के शामिल होने से सरकार की छवि को धक्का लगेगा और न चाहते हुए भी भारत गाजा पर इजरायल के युद्ध में फंस जाएगा। हालांकि इस रिपोर्ट को लेकर अभी तक भारत सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
बताते चलें कि इजरायल ने भारत को हर मुश्किल समय में मदद की है। कारगिल युद्ध के दौरान भी इजरायल ने खुद की रक्षा के लिए बनाए गए हथियारों, गोला बारूद और ड्रोन की बड़ी खेप भारत को मुहैया कराई थी। कहा यह भी जाता है कि उस दौरान इजरायली मिलिट्री टेक्निशियन की एक टीम ने भारत आकर लेजर गाइडेड बम और ड्रोन के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी थी। इसके अलावा इजरायल ने भारत को कई दूसरे मिलिट्री साजोसामान और मिसाइलों को भी बेचा है, जिनमें बराक मिसाइल का ज्वाइंट डेवलपमेंट और प्रोडक्शन, स्पाइक एंटी टैंक मिसाइल, तेजस विमान का EL/M-2052 रडार, टैवोर TAR 21 असॉल्ट राइफल समेत कई दूसरे घातक हथियार शामिल हैं।
भारत में बने हर्मीस 900 ड्रोन की डिलीवरी तब हुई है, जब इजरायली हवाई हमलों ने रफाह पर जबरदस्त बमबारी की है। रफाह फिलिस्तीन का एक घनी आबादी वाला शहरी क्षेत्र में है। रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि गाजा पर चल रहे हमले के दौरान ड्रोन इजरायली सेना के मुख्य हथियारों में से एक रहे हैं, जहां उनका उपयोग खुफिया जानकारी के साथ-साथ आतंकवादियों और उनके घरों पर हमले करने के लिए भी किया जाता है।
हर्मीस 900 ड्रोन 30 घंटे से अधिक समय तक हवा में रहने में सक्षम हैं। आमतौर पर इस ड्रोन का इस्तेमाल टोही मिशनों के साथ-साथ हवाई बमबारी सहित विभिन्न सैन्य अभियानों के लिए उपयोग किया जाता है। हर्मीस 900 ड्रोन को पहली बार 2014 में गाजा में इजरायल के युद्ध के दौरान पेश किया गया था। हर्मीस 900 ड्रोन को हर्मीस 900 कोचाव या स्टार के नाम से भी जाना जाता है। यह उन चार घातक किलर ड्रोन में से एक है, जिनका उपयोग इजरायल करता है।