क्लियरिंग कॉर्प ऑफ इंडिया के आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी बैंकों ने गुरुवार को 8,038 करोड़ रुपये के भारतीय सरकारी बांड खरीदे, जो 1 फरवरी के बाद से सबसे बड़ी एकल-सत्र खरीद है।
बताते चलें कि कारोबारियों ने कहा कि अमेरिका में मुद्रास्फीति के अनुमान से कम रहने के बाद इन बैंकों ने खरीद बढ़ा दी है, जिससे ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है साथ ही जेपी मॉर्गन के उभरते बाजार ऋण सूचकांक में भारत का शामिल होना भी एक कारक है।
एक विदेशी बैंक के व्यापारी ने कहा कि अन्य हालिया आर्थिक आंकड़ों से भी अमेरिका में मुद्रास्फीति में कमी आने का संकेत मिला है, जिससे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं की जिससे शीर्ष चार या पांच बड़े विदेशी बैंकों को बांड जारी करने के लिए प्रेरित किया है।
व्यापारियों के अनुसार ज़्यादातर खरीदारी 10 साल और उससे ज़्यादा की परिपक्वता अवधि वाले बॉन्ड में हुई, जिसमें 10 साल के बेंचमार्क 7.10% 2034 और लिक्विड 7.23% 2039 बॉन्ड के साथ-साथ अन्य शामिल हैं। 2039 बॉन्ड अभी तक उस समूह का हिस्सा नहीं है जिसे इंडेक्स में शामिल किया जाएगा।