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‘चुनाव आयोग जो भी कर रहा है वह संविधान के तहत’, बिहार वोटर वेरिफिकेशन पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

बिहार में वोटर लिस्ट विशेष गहन पुनरीषण मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। न्यायालय ने कहा कि बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन जारी रहेगा और हम संवैधानिक संस्था के काम को नहीं रोक सकते। हालांकि, सुनवाई के दौरान न्यायालय ने चुनाव आयोग से कई सवाल किए। कोर्ट ने इस फैसले की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए।

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं से भी सवाल किए। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील गोपाल शंकरनारायणन से पीठ ने कहा कि आप खुद बताइए कि चुनाव आयोग जो कर रहा है उसमें गलत क्या है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने मामले में सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलीलों में कहा कि चुनाव आयोग का यह कदम मनमानी भरा है और इससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का सिद्धांत कमजोर होता है। दलील सुनने के बाद जस्टिस सुधांशु धूलिया ने टिप्पणी की कि गैर नागरिकों को मतदाता सूची से हटाना गृह मंत्रालय का विशेषाधिकार है ना कि चुनाव आयोग का।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बेहद अहम बात यह कही कि चुनाव आयोग जो भी कर रहा है वह संविधान के तहत है और इस तरह की एक्सरसाइज साल 2013 में भी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि आधार कार्ड को वोटर लिस्ट रिवीजन के लिए बनाए गए डॉक्यूमेंट्स की सूची से बाहर क्यों रखा गया है। कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि आप नागरिकता के मुद्दे पर क्यों जा रहे हैं और यह गृह मंत्रालय का विषय है।

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