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‘झूठे दावे फैलाने वालों को देश से माफ़ी मांगनी चाहिए…’, सेबी के फैसले पर बोले गौतम अडानी; हिंडनबर्ग ने लगाए थे झूठे आरोप

अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग की ओर से गौतम अडानी पर लगाए गए सभी आरोपों को मार्केट रेगुलेटर सेबी ने निराधार पाया। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर स्टॉक में हेरफेर का आरोप लगाया था, लेकिन सेबी को कंपनी के खिलाफ को सबूत नहीं मिला। सेबी ने गुरुवार (18 सितंबर 2025) को अडानी ग्रुप को क्लीन चिट देते हुए अंतिम आदेश में कहा कि हिंडनबर्ग मामले में अडानी ग्रुप पर लगे आरोप सिद्ध नहीं हो सके।

सेबी के फैसले पर गौतम अडानी ने कहा, “एक विस्तृत जाँच के बाद, सेबी ने अपनी इस बात की पुष्टि की है कि हिंडनबर्ग के दावे निराधार थे। पारदर्शिता और ईमानदारी हमेशा से अडानी समूह की पहचान रही है। हम उन निवेशकों के दर्द को गहराई से समझते हैं जिन्होंने इस धोखाधड़ी और प्रेरित रिपोर्ट के कारण पैसा गंवाया। झूठे दावे फैलाने वालों को देश से माफ़ी मांगनी चाहिए। भारत के संस्थानों, भारत के लोगों और राष्ट्र निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अटूट है। सत्यमेव जयते! जय हिंद!”

सेबी के मुताबिक न तो नियमों का उल्लंघन हुआ, न ही मार्केट मैन्युपलेशन या इनिसाइडर ट्रेडिंग के सबूत मिले। इसके साथ ही गौतम अडानी, उनके भाई राजेश अडानी, अडानी पोर्ट्स, अडानी पावर, एडिकॉर्प एंटरप्राइजेज लिमिटेड, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड को बड़ी राहत मिली है।

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक सेबी ने कहा, “कर्ज ब्याज सहित चुकाए गए थे, कोई धनराशि नहीं निकाली गई थी और इसलिए कोई धोखाधड़ी या अनुचित व्यापार नहीं हुआ था। इसको देखते हुए, अडानी समूह के खिलाफ सभी कार्यवाही रद्द कर दी गई है।”

हिंडनबर्ग ने जनवरी 2023 में आरोप लगाया था कि अडानी ग्रुप ने तीन कंपनियों एडिकॉर्प एंटरप्राइजेज, माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स और रेहवर इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल अडानी ग्रुप की कंपनियों के बीच पैसा भेजने के लिए माध्यम के रूप में किया। यह दावा किया गया था कि इससे अडानी को संबंधित पक्ष लेनदेन के नियमों से बचने में मदद मिली और निवेशकों को गुमराह किया गया।

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