त्रिपुरा के इस बार के विधानसभा चुनाव अबतक के सबसे खास और अहम चुनावों मे से एक थे। पिछले 25 सालों से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री की गद्दी संभाल रही सीपीआईएम को इस बार औंधे मुॅंह की खानी पड़ी। 2018 के विधानसभा चुनावों मे भारतीय जनता पार्टी ने 60 विधानसभा सीटों वाले राज्य त्रिपुरा में 43 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत से राज्य में अपनी सरकार बनाई है। जन की बात सीईओ प्रदीप भंडारी ने करीबन 35 दिन त्रिपुरा में बिताए है और इन 35 दिनों में उन्होने हर रोज़ विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया और हर क्षेत्र की दिक्क्तों को पूरे देश के सामने रखा।
टाइम्स नाउ से बातचीत के दौरान प्रदीप भंडारी ने त्रिपुरा की राजनिति के बारे में बहुत सी अनकही और अनसुनी बातों से पर्दा उठाया, उन्होने त्रिपुरा की उस सच्चाई देश के समक्ष रखा जो कोई बोलने को ही तैयार नही है। प्रदीप भंडारी ने बताया कि किस तरह कांग्रेस ने राज्य में चुनाव जीतने की कोई कोशिश नही कि, उन्होने बताया कि कांग्रेस आजकल एक भटकी हुई पार्टी लगती है क्योकि कांग्रेस का खुद का कुछ नही है। ना विचारधारा, ना काडर और ना ही खुद की कोई रणनीति।
"Congress doesn't have an ideology of its own, cadre of its own and strategy of its own. Congress looks like a confused party these days", – @pradip103 on @TimesNow #ModiWaveInNorthEast #JanKiBaatGetsItRight #JanKiBaat pic.twitter.com/WVQuhHWAJd
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) March 3, 2018
त्रिपुरा में बदलाव की गुंजाइश थी जिसका पूरा फायदा भारतीय जनता पार्टी उठा चुकी है लेकिन कांग्रेस ने इस मौका का फायदा उठाना तो छोड़िए कांग्रेस ने तो सारी सीटों पर अपने प्रत्याशी तक उतारना जरूरी नही समझा। जहाॅं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 4 रैलियाॅं कर रहे थे वहाॅं राहुल गांधी सिर्फ एक रैली करते है वो भी मतदान से दो दिन पहले। इसी दौरान प्रदीप भंडारी ने ये भी बताया कि भारतीय जनता पार्टी के त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड में सफलता के बाद ऐसा लगता है कि ये कोई लहर नही है ये एक पूरा पूरा आंदोलन सा है और देश की बाकि सभी पार्टियों को भाजपा के सामने अपनी प्रतिष्ठा बनाकर रखना जरूरी है।
बातचीत के दौरान प्रदीप भंडारी ने ये भी बताया की त्रिपुरा में पहली आम जनता को सीपीआईएम के अलावा और कोई विकल्प मिला है और चुनावों के नतीजों को देखकर साफ समझा जा सकता है कि जनता खुद बदलाव चाहती थी क्योकि इस बार उनके पास विकल्प था, जिसका उन्होने भरपूर फायदा उठाया।