सुप्रीम कोर्ट ने बीते 8 जनवरी 2018 को कहा की वह सेक्शन 377, भारतीय दंड सहिंता की ओर दुबारा लौटेंगे और उसपर सुनवाई और विचार होगा. आपको बता दें सेक्शन 377 के अंतर्गत समस्त यौन क्रियाओं को दण्डित करने का प्रावधान है जो भी क्रियाएं ‘अप्राकृति’ हैं. इसके अंतर्गत कैद आजीवन तक की हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने अब अपने 2013 के फैसले, जिसमे इस सेक्शन को संवैधानिक घोषित किया था और गे सेक्स को प्रतिबंधित रक्खा था. अब उस फैसले पर दुबारा सुनावई होने जा रही है. 3 जजों की बेंच की अगुवाई कर रहे मुख्या न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा, “हम 2013 के निर्णय पर वापस से लौट रहे हैं और इस मसले को बड़ी बेंच को सौंप रहे हैं”.
जानिए क्या है दिल्ली की सेक्शन 377, आईपीसी पर राय। हमने बात की विभिन्न वर्ग के लोगों से और उनसे पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट को एक बार फिर से इस सेक्शन पर चर्चा करनी चाहिए। देखिए वीडियो और जानिए उन्होंने क्या कहा।