केंद्रीय कानून मंत्रालय ने एससी-एसटी एक्ट मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने की मंजूरी दे दी है। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के अलावा एनडीए के दलित और पिछड़े वर्ग से आने वाले जनप्रतिनिधियों ने भी मोदी सरकार से रिव्यू पिटिशन दाखिल करने की मांग की थी।
आपको बता दें कि इसके अलावा एनडीए के कुछ सहयोगी दलों ने भी नाखुशी जाहिर की थी। इससे पहले एनडीए की एक दलित सांसद, लोजपा के प्रमुख राम विलास पासवान और केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने की अपील की।
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के बेजा इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए इसके तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी गई थी।
एससी और एसटी मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एनडीए सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ इन समुदायों की सुरक्षा के बड़े बड़े दावे करती है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि एनडीए सरकार ने अपने पक्ष को सही ढंग से पेश नहीं किया। राहुल गांधी ने कहा कि इस सिलसिले में उन्होंने राष्ट्रपति महोदय से मिलकर अपनी बात रखी।
इसके बाद कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर हो गया था। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सही तरीके से दलील पेश नहीं की।
कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि,सरकार की लापरवाही से कमजोर वर्ग की रक्षा का यह कानून करीब-करीब खत्म हो गया है। आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की अगुवाई में दलित समुदाय के मंत्रियों व सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (एससी-एसटी एक्ट) पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लेकर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला भी था।
मुलाकात के बाद पासवान ने दावा किया था कि सरकार एससी-एसटी ऐक्ट के कुछ सख्त प्रावधानों को कमजोर करने वाले अदालत के फैसले के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दाखिल करेगी। इसके बाद ही सरकार की तरफ से अब रिव्यू पिटिशन दाखिल करने की बात सामने आ रही है।