पश्चिमी उत्तर प्रदेश के राजनीति का केंद्रबिंदु मानी जाने वाली कैराना लोकसभा सीट पर उपचुनाव 28 अप्रैल को संपन्न हुए। उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद खाली हो गयी थी। हरियाणा की सीमा के आसपास बसा हुआ कैराना शामली जिले का हिस्सा है। कैराना लोकसभा सीट भी है और विधानसभा भी। कैराना लोकसभा के अंतर्गत शामली जिले की तीन और सहारनपुर जिले की दो विधानसभाएं भी आती हैं। कैराना उप चुनाव में जन की बात के फाउंडर सीईओ प्रदीप भंडारी चुनाव को कवर करने पहुंचे। उनके साथ जन की बात की फाउंडिंग पार्टनर आकृति भाटिया और उनकी टीम भी मौजूद थी। यह उपचुनाव देश भर में हुए उप-चुनावों से अलग रहा, जातीय समीकरण और राजनैतिक प्रतिद्वंदता के नए-नए आयाम यहाँ पर देखने को मिले।
क्या कहती है कैराना की ग्राउंड रिपोर्ट
कैराना लोकसभा का उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए एक अहम चुनाव के रूप में देखा जा रहा है। यहाँ के सांसद रहे हुकुम सिंह के निधन के बाद बीजेपी ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को मैदान में उतारा था, वहीँ साझा विपक्ष की उमीदवार तबस्सुम बेगम राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर चुनावी मैदान में थीं। इस उप चुनाव में जातीय समीकरणों को साधने की भरपूर कोशिश विपक्ष द्वारा की गयी। कैराना उप चुनाव में बीजेपी का मंत्र- मंत्री, मुख्यमंत्री, कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा था। वहीँ विपक्ष ने डोर टू डोर प्रचार का सहारा इस चुनाव के प्रचार में लिया था। विपक्ष ने मुस्लिम वोट ध्रुवीकरण और दलित, जाट वोटरों को अपने पाले में करने के लिए सभी हथकंडों का सहारा लिया। कैराना की जमीनी हालत की बात करें तो यहाँ पर सदियों से जातीय समीकरण हावी रही है लेकिन अब यहाँ पर विकास का मुद्दा भी सामने आ रहा है। वहीँ भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों ने आरोप लगाया की विपक्षी पार्टियाँ सरकार के काम काज के बारे में लोगों को भ्रमित करने का काम कर रही हैं। कैराना उप चुनाव में गन्ना किसानों का मुद्दा सब पर हावी रहा। गौरतलब हो कि शामली जिले के थाना भवन सीट का यूपी विधानसभा में प्रतिनिधत्व करने वाले विधायक सुरेश राणा के प्रदेश सरकार में गन्ना विकास मंत्री बनने के बाद गन्ना किसानों की उम्मीदें उनसे जुड़ी थीं लेकिन लोगों को निराशा ही हाथ लगी। सरकार ने चीनी मीलों द्वारा किसानों का गन्ना खरीदे जाने के 14 दिन के भीतर उनका भुगतान कराने की बात कही थी लेकिन किसानों की शिकायत है कि बिक्री के महीनों बाद भी आज तक किसान अपने भुगतान के लिए तरस रहे हैं।
SHAMLI . REPORTS OF #EVMNOT WORKING PROPERLY. #PEOPLEWAITING IN #45DEGREE CelciusExclusive Pradip Bhandari and team. #KairanaByPoll #JanKiBaatInKairana
Posted by Jan ki Baat on Sunday, May 27, 2018
Ground Report Kairana #KairanaByPoll
Posted by Jan ki Baat on Sunday, May 27, 2018
KAIRANA BYPOLL ELECTIONS Watch Ground report from Nanauta Village
Posted by Jan ki Baat on Sunday, May 27, 2018
Kairana By-poll 2018 ground report.RLD vs BJP (नलका बनाम कमल) byPradip Bhandari Akriti BhatiaPrins Bahadur Singh#JanKiBaatInKarnataka
Posted by Jan ki Baat on Saturday, May 26, 2018
Why has the sugarcane farmer not received payment in 14 days? Why has Jamat -e -Ulema-Hind issued fatwa to Muslims in #Kairana 2 vote against BJPUttarPradesh BJP, MP @Dr Sanjeev Balyan Speaks to CEO Pradip Bhandari#KairanaBypoll2018 #JanKiBaatInKairana
Posted by Jan ki Baat on Sunday, May 27, 2018
कैराना का जातीय समीकरण
कैराना लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण कुछ इस प्रकार है:-
कुल वोटर: 16 लाख 80 हजार (लगभग)
- मुस्लिम: 5.7 लाख
- जाट: 1.6 लाख
- कश्यप: 2 लाख
- दलित(जाटव): 1.6 लाख
- गैर जाटव दलित: 90 हजार
- गुर्जर: 1.4 लाख
- सैनी: 1 लाख
- बनिया: 65 हजार
- ब्राह्मण: 60 हजार
- ठाकुर: 35 हजार
- अन्य(प्रजापति, पाल, बावरिया, सिख, जैन आदि): 1 लाख
16 लाख वोटरों वाली इस लोकसभा में लोगों की जुबान पर जातिगत राजनीति का रंग जमके चढ़ गया है। मुस्लिम, दलित और जाट ध्रुवीकरण का फायदा साझा विपक्ष की उमीदवार तबस्सुम बेगम को मिल रहा है। वहीँ पर अगड़ी जातियों, अति पिछड़ी और गुर्जरों का वोट बीजेपी को मिल रहा है। मृगांका सिंह के गुर्जर समुदाय से आने की वजह से गुर्जर उनके साथ लामबंद हो गये हैं। वहीँ शाक्य, सैनी, प्रजापति आदि अति पिछड़ी जातियों का पुरजोर समर्थन बीजेपी को मिल रहा है।
वीवीपैट मशीनों को लगी लू, ईवीएम की खराबी बना मुद्दा
कैराना लोकसभा उपचुनाव में 42 से 45 डिग्री तापमान के बीच वोटिंग हुई। भीषण गर्मी और मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा रमजान में रोजा रखने के बाद भी पोलिंग बूथ पर मुस्लिम वोट अधिक दिखाई दिए। भयंकर गर्मी के बीच वीवीपैट मशीनों को भी लू लग गई। लगभग 15 प्रतिशत वोटिंग मशीने मतदान के दौरान ख़राब हो गयीं। शामली, कैराना, गंगोह, नकुड, थानाभवन और नूरपुर के लगभग 175 पोलिंग बूथों से EVM-VVPAT मशीन के खराब होने के बाद सियासत गरमा गयी। कई बूथों पर देर रात तक मतदान चलता रहा। कैराना के हरपाली बूथ पर रात 11: 30 बजे वोटिंग खत्म हुई। चुनाव आयोग से मिले आंकड़ों के अनुसार देर रात तक संपन्न हुए मतदान में लगभग 61 प्रतिशत मतदान हुआ। इस चुनाव में ईवीएम मशीनों का ख़राब होना चुनाव आयोग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है। चुनाव आयोग द्वारा मशीनों के ख़राब होने की वजह गर्मी बताई गई। लेकिन सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग को पहले से इस बात का भान नहीं था कि 28 अप्रैल को चुनाव के दौरान गर्मी रहेगी? चुनाव आयोग ने इसको लेकर अपनी तैयारियां क्यों नहीं पूरी की थी? इस घटनाक्रम के बाद चुनाव आयोग पर विपक्षी पार्टियाँ सवाल दागने लगीं हैं, लेकिन वहीँ बीजेपी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है।
कैराना उप चुनाव के 10 प्रमुख बिंदु
- मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में बीजेपी को हराने के लिए हुए एकजुट, कहा ये है ‘वकार(वर्चस्व)’ की जंग।
- अजित सिंह के घर-घर जाकर प्रचार करने की वजह से आरएलडी के साथ 50% से अधिक जाट हुए लामबंद।
- निचली दलित जाति के मतदाता इन कारणों से संयुक्त विपक्ष के के साथ हुए लामबंद-
>मायावती
>भीम आर्मी का दलित युवाओं में प्रभाव
> दलितों में असुरक्षा की भावना - बीजेपी के मूल मतदाता – सैनी, ब्राह्मण, बनिया और कश्यप ने बड़ी संख्या में नहीं किया मतदान, उप चुनाव में नहीं दिखा उत्साह।
- ईवीएम में खराबी से वोटिंग हुई प्रभावित मुस्लिम मतदाताओं की तुलना में अधिक हिन्दू मतदाता बिना वोट डाले ही चले गए घर वापस।
- Empty Box Theory के मुताबिक मुस्लिम, दलित और जाट मतदाताओं ने खाली पोलिंग बूथों को भरने का किया काम।
- गन्ना किसानों को समय पर (14 दिनों का वादा) भुगतान नहीं होना बना एक बड़ा मुद्दा।
- कानून और व्यवस्था में सुधार और महिलाओं की सुरक्षा सभी जाति और धर्म के लोगों द्वारा स्वीकार की गई।
- विधवा और वृद्धा पेंशन को सरकार ने किया बंद, गांवों में बना बड़ा मुद्दा।
- विपक्ष के एकजुट होने के बाद बीजेपी को 2019 के चुनाव में जीत के लिए हासिल करना होगा 50% प्रतिशत से अधिक वोट।
क्या हो सकता है चुनाव का परिणाम
जन की बात की टीम द्वारा चुनाव को कवर करने के बाद एग्जिट पोल लांच किया गया। कैराना उप चुनाव के लिए हमारे द्वारा दिए गए एग्जिट पोल के मुताबिक जातीय ध्रुवीकरण, जाट समीकरण और गन्ना किसानों के मुद्दों ने इस चुनाव को काफी प्रभावित किया है। देखिये कैराना चुनाव का एग्जिट पोल:-
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