राहुल कुमार, जन की बात
झारखंड चुनाव में लगातार नए-नए रंग देखने को मिल रहे हैं चाहे वह वोटिंग परसेंटेज का हर फेस के साथ बदलना हो या राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के प्रचार प्रसार की गिनती बढ़ने की हो, यह साफ बताती है कि किस तरीके से भाजपा और रघुवर दास इस बार काफी चुनौतियों का सामना करने जा रहे हैं।
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जहां पहले दो चरणों में आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाता ज्यादा चुनाव के नतीजे तय करने में निर्णायक थे, तो वही तीसरे और चौथे चरण में शहरी और और जनरल मतदाताओं का महत्व ज्यादा रहने वाला है।
राजधानी रांची और उसके आसपास के शहरी क्षेत्र तीसरे चरण में समाप्त होने के बाद अब चौथा चरण धनबाद जैसे झारखंड के सबसे पुराने औद्योगिक और शहरी क्षेत्रों में होने जा रहे हैं। धनबाद जिला झारखंड के क्षेत्रीय राजनीति को बड़ी बखूबी से दर्शाता है और चुनाव के नतीजों में साफ-साफ यह झलक देखने को मिलती है कि, किस तरीके से कुछ विधानसभाओं में सिमटी पार्टियां भी राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के प्रचार प्रसार को भी अपने क्षेत्रीय नेतृत्व से करारा जवाब देती है।
धनबाद के ऐसे ही दो विधानसभा की बात करने जा रहे हैं जहां पर राष्ट्रीय पार्टियों के साथ क्षेत्रीय JVM और जेएमएम(JMM) के त्रिकोणीय मुकाबला के बीच कम्युनिस्ट पार्टी एम.सी.ओ(MCO) अपना दम भर रही है.
हम बात कर रहे हैं सिंदरी और निरसा विधानसभा की जहां पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा जहां निरसा विधानसभा पहले से एम.सी.ओ(MCO)को के पास है, तो वही सिंदरी विधानसभा में भी कई चुनाव से एम.सी.ओ (MCO) के उम्मीदवार आनंद महत्व अपनी छाप छोड़ते आ रहे हैं।
अगर बात करें सिंदरी विधानसभा की तो यहां फूलचंद मंडल जो दलबदलू के नाम से यहां मशहूर हैं, क्योंकि जीत की हवा देखकर पार्टी बदलने का इन का पुराना रिकॉर्ड बताता है। इस बार भी इन्होंने पिछली बार भाजपा के विधायक बनने के बाद अब झामुमो(JMM) से किस्मत आजमा रहे हैं, तो वही जिला परिषद अध्यक्ष रह चुके इंद्रजीत महत्व भाजपा के टिकट से इस सीट को भाजपा की झोली में वापस लाने की कोशिश में लगे हैं।
बात करें तीसरे उम्मीदवार की जो आनंद महतो एम.सी.ओ(MCO) पार्टी से चौथी बार चुनाव मैदान में किस्मत आजमाने के लिए खड़े हैं जिनका खुद का एक अपना वोट बैंक माना जाता है साथ ही भाजपा से अलग हुए आजसू के पिंटू महतो भी चुनाव मैदान है ।
चारों उम्मीदवारों के नाम पर गौर किया जाए तो 3 नाम महतो समाज से आते हैं सिर्फ फूलचंद मंडल ही मंडल समाज से चुनावी मैदान में है जिनका यहां पर करीब 40 से 50 हजार का वोट बैंक माना जाता है । वही महतो समाज से तीन उम्मीदवार होने के कारण पार्टी का झंडा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
क्या है जमीनी समीकरण ?
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जन की बात की जमीनी स्तर के जांच में दिखा की, भाजपा के विधायक के तौर पर फूलचंद मंडल ने ना ही विधायक फंड से और ना ही सरकारी तौर पर कोई भी कार्य क्षेत्र या अपने समाज के लिए किया, जिसके वजह से मंडल समाज इस बार अपना मन बदलने की बात कहता दिखा । मुकाबला अभी 3 पार्टियों, भाजपा एम.सी.ओ और झामुमो के बीच होने की संभावना है आजसू और जेवीएम अभी सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है।