इस आपदा के बीच कई संपन्न लोग आए सामने दिल खोलकर कर रहे हैं मजबूर गरीब जनता की मदद
कोरोना वायरस लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों में तेजी से पैर पसार रहा है, जिस कारण भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देश में सबको स्वास्थ्य सेवाएं देना बहुत ही कठिन है वह भी इतने कम समय में जिस कारण 21 मार्च को प्रधानमंत्री द्वारा 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का ऐलान किया गया ताकि सामाजिक दूरी बनाकर कोरोना वायरस के चक्र को तोड़ा जा सके जिसमें देश के हर एक वर्ग ने समर्थन करते हुए अपने घर में रहते हुए इसका पालन किया। अगले दिन दिल्ली सरकार ने कर्फ्यू 31 मार्च तक बढ़ा दी साथ ही आस-पास के कई राज्यों ने भी ऐसा ही किया जिससे कई लोग प्रभावित हुए ।
इसकी सबसे बड़ी मार प्रवासी मजदूर पर गिरी है, जो अलग-अलग राज्यों से बड़े शहरों में काम की तलाश में गुजर-बसर कर रहे थे अचानक कर्फ्यू लगने से काम से तो हाथ धोना ही पड़ा साथ रोजी-रोटी पर भी सवाल उठ खड़ा हुआ जिस कारण उनके पास घर वापस लौटने के अलावा कोई भी विकल्प नहीं बचा था ।
एक तरफ बाहर निकलने पर कोरोना संक्रमण का डर और रुकने पर भूखे मरने का ।
इसी क्रम में प्रधानमंत्री और देश के बाकी मुख्यमंत्रियों ने भी लोगों से आग्रह किया था कि इन वर्गों की मदद के लिए सामने आए ताकि इस आपदा के दौरान कोई भी भूखे पेट रात को ना सोए लेकिन इतनी बड़े वर्ग को यकीन दिलाना मुश्किल है कि उनकी मदद के लिए इतने हाथ सामने आएंगे जो इतने लंबे कर्फ्यू के दौरान उनकी मदद करेंगे जिस कारण लोग हजारों की संख्या में घर लौटने के लिए अलग-अलग बस स्टैंड पर जमा होने लगे ।
लेकिन इसी बीच कई गैर सरकारी सामाजिक संस्थान और संपन्न लोग दिल खोल कर सामने आए और अपने अपने क्षेत्र में यह जिम्मेदारी ली कि जितना उनसे बन सकता है वह ऐसे गरीब लोगों की मदद करेंगे जो इस आपदा के बीच असमर्थ है
इसी कड़ी में जन की बात ने भी ऐसे ही लोगों के कार्य को दिखाने की कोशिश की जो अपने मानवीय कार्य को ग़रीब जनता के बीच करते हुए दिखे।
हमने दक्षिण दिल्ली के रजोकरी गांव के आसपास के कुछ क्षेत्रों का भ्रमण किया और देखा कई लोग विभिन्न माध्यम और अलग-अलग हैसियत के हिसाब से जितनी हो सके लोगों तक राहत सामग्री के तौर पर चावल दाल और खिचड़ी खुद के किचन में पकाकर लोगों को बांट रहे थे तो वहीं कुछ लोग खाद्य सामग्री के तौर पर दूध के पैकेट और बिस्कुट, तो कुछ कच्चे चावल और मसालों के पैकेट बनाकर लोगों के घर पहुंचाने के कार्य में जुटे हुए थे
इसी बीच ऐसे ही एक शख़्स किशु यादव से बात करने पर पता चला कि गांव वालों के सहयोग से उन्होंने सुबह से 900 से 1000 लोगों को खाना खिला चुके हैं और कुछ खाद्य पदार्थ के भी पैकेट बना कर घर घर जाकर बांटने की योजना किया है
ऐसे ना जाने कई लोग इस आपदा में गरीब मजबूर जनता के लिए बहुत बड़ी राहत बनकर सामने आए हैं, उन लोगों की एक ही कोशिश है कि इस आपदा में कोई भी इंसान भूखा ना सोए जब तक कि आपदा खत्म नहीं हो जाती है।