आइए मिलिए संदीप और उनके साथी सें जो पैदल ही हरियाणा से मध्यप्रदेश अपने घर की ओर निकल चुके है
संदीप और उनके साथी मध्यप्रदेश के सागर जिले के रहने वाले हैं। वो काम की तलाश में एक कॉन्ट्रैक्टर के जरिए कुछ महीनों पहले हरियाणा पहुंचे थे जहां पर वो एक फार्म हाउस में रहकर काम करते थे। सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन बीच में लॉकडाउन लग जाने के कारण उन्होंने कई दिनों तक तो इसका सामना किया। लेकिन जब फार्म हाउस के मालिक ने उन्हें उनकी तनख्वाह को देने से मना कर दिया तब संदीप और उनके साथियों ने घर वापसी का इंतजाम बनाया। जिसमे उनकी जितनी जमापूंजी थी एक ट्रक वाले को दिया। जिसमे उस ट्रक वाले ने भी उनसे पैसे तो लिए लेकिन बाद में ट्रक वाले ने ले जाने से इनकार कर दिया। उसने उनके दिए पैसे भी उन्हें नहीं दिए। अब तो संदीप और उनके दो साथी के पास ना सर ढकने के लिए जगह बची थी और ना खाने के लिए राशन। फिर उन्होंने पैदल ही जाने की ठान ली और निकल पड़े पैदल ही बिना किसी इंतजाम के बस पीठ पर एक एक बैग और हाथो में पानी बॉटल जिसमे पानी भी नहीं था।
Sandeep was eager to go home, he was in need of ration, some money, and sanitiser. Know his story.
To help on the ground contact : 8882333133@pradip103@ManMundra#PeopleWelfareFund#COVID19 pic.twitter.com/W3wQdZ7AeL— Jan Ki Baat (@jankibaat1) May 23, 2020
जन की बात टीम की हुईं रास्ते में मुलाक़ात
जब जन की बात प्रत्येक दिनों की तरह लोगो की सहायता के लिए यमुना एक्सप्रेस वे की तरफ आगे बढ़ रहा था। तब देखने को मिला संदीप और उनके दो साथी पैदल ही चलते हुए धीरे – धीरे यमुना एक्सप्रेसवे से आगरा की तरफ बढ़ते जा रहे थे। तब जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी जी ने अपनी कार रोककर उनके साथ कुछ दूर पैदल चलते हुए उनसे पैदल जाने का कारण पूछा। उन्होंने अपने पर बीती पूरी बात बताई और कहा कि हम तो काम करना चाहते है हमे पता है कि लॉकडाउन हमारे बचाव के लिए है। लेकिन जब हमारे मालिक ने हमे तनख्वाह और राशन देने को माना दिया तब हमें मजबूरन ऐसा करना पड़ा। तब उनसे जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने उनसे पूरी जानकारी ली और उन्हें घर भेजवाने की व्यवस्था में जुट गए। वहीं उन्हें राशन और साथ में सैनिटाइजर और मास्क के साथ उनको घर पहुंचने के लिए कुछ किराए भी उपलब्ध कराए। वहीं रास्ते में खड़े होकर लगभग आधे घंटे तक कई वाहनों को हाथ मारने पर एक ट्रक को रोककर संदीप और उनके साथियों को उसपे बैठाया गया। जैसे ही संदीप और उनके साथी ट्रक पर बैठे उनकी मुस्कुराहट को देखकर मानिए ऐसा लग रहा था जैसे की दुनिया कि सारी खुशियां आज संदीप और उनके साथियों को मिली है।
जन की बात की टीम और उसके फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी लगातार जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। जिस भी व्यक्ति को जैसी भी मदद चाहिए उसे पूरा किया जा रहा है।
आपके आस-पास भी किसी को मदद की जरूरत हो तो संपर्क करे- 8882333133