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जानिए कैसे ‘जनता रसोई’ बनी लोगो के उम्मीद की किरण प्रदीप भंडारी के साथ

‘सिटीजन कोरोना वारियर्स’ के इस प्रकरण में जन की बात के फाउंडर प्रदीप भंडारी ने अद्वैता कला से कोरोना और देशभर में लगे लॉकडाउन पर की चर्चा।

कोरोना काल मे जन की बात का एक ही मकसद है, की जनता पर देश मे चल रहे लॉकडाउन के बीच सकारात्मक प्रभाव पड़े। जिसके लिए जन की बात के फाउंडर प्रदीप भंडारी, हर बार एक नए ‘कोरोना वररिय’ के साथ चर्चा करते हैं। इसी कड़ी में उन्होंने चर्चा के लिए अद्वैता कला से बात किया,अद्वैता कला एक चर्चित लेखिका,और फिल्मों में पटकथा लेखिका हैं।

अद्वैता ने लॉकडाउन में अपने मित्रों के साथ मिलकर ‘जनता रसोई’ नाम के ‘क्लाउड किचन’ स्तर पर काम करने वाले एक संस्थान को चलाती हैं। चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें इस बात कर अंदेशा तब से था जब कोरोना सिर्फ चीन तक सीमित था कि एक दिन वो भारत मे भी आ पहुचेगा। इस जनता रसोई का विचार उन्हें अपने मित्र अर्जुन पांडेय और अम्बिका कपूर के ‘संघाई सरप्राइज’ से मिला।

अद्वैता कला के अनुसार जब जनता रसोई शुरू हुई थी तब मात्र 100 लोगो को इसके अंतर्गत खाना खिलाया जाता था ,मगर अब 2500-2700 लोग हर दिन जनता रसोई पर आश्रित हैं। जनता रसोई के लिए गुरुग्राम में रह रहे निवासियों और देश के अन्य लोगों की मदद से इसको चलाया जाता है। इसकी सबसे खास बात ये है कि ये एक ‘नागरिक संचालित संगठन’ है।

प्रदीप भंडारी के पूछने पर की इसके लिए मदद कैसे मुमकिन हुई इस पर उन्होंने बताया कि इससे पहले भी दिल्ली दंगो में दिलबर नेगी जिसकी मौत हो गयी थी उसके परिवार की मदद के लिए इसी प्रकार का ड्राइव चलाया गया था। क्योंकि प्रदीप भंडारी भी इस लॉकडाउन में काफी जगहों पर जा कर जनता की राय जानने की कोशिश की हैं इसी अनुभव से उन्होंने भी बताया कि लॉकडाउन में ज़्यादा मुश्किल शहर में रहने वालों को हो रही है, वहीं गावों में क्योंकि सब एक दूसरे को जानते हैं इसलिए लोग आपस मे मिल कर लॉकडाउन में एक दूसरे की मदद कर रहे हैं।

अद्वैता जी के अनुसार लॉकडाउन के बाद भारत की स्तिथि वैसी नही होगी जैसे कि पहले थी। आर्थिक, मानसिक रूप से सब कुछ बदल जायेगा, मगर आत्मनिर्भर बनने की और हम ज़रूर बढ़ेंगे।

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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