गृह मंत्रालय ने 29 मई 2020 को सभी आर्मी कैंटीन को आदेश जारी किया था। जिसमें सभी सीपीसी और सीएपीएफ कैंटीन केवल स्वदेशी उत्पाद अपने बेचने का आदेश दिया गया था। गृह मंत्रालय ने इस लिस्ट में 1000 से ज्यादा उत्पादों को शामिल किया था। जिसमें यूरेका फॉर्ब्स, विक्टर इनॉक्स, हिंदुस्तान यूनिलीवर, जगुआर, नेस्ले, रेड बुल, टॉमी हिल्फिगर जैसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादों को शामिल किया गया। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य स्वदेशी उत्पाद को आगे बढ़ाना था।
उत्पादों को तीन कैटेगरी में बांटा गया था
इसके लिए सरकार ने तीन कैटेगरी बनाई थी। पहली कैटेगरी में वे उत्पाद जो पूर्णता भारत में बनाए गए हो। दूसरी कैटेगरी में वे उत्पाद जिनका कच्चा माल विदेशों से आयात किया गया है। लेकिन उत्पादों का निर्माण भारत में ही हुआ है। तीसरी कैटेगरी में वे उत्पाद जो पूर्णता विदेशों से आयात किए हुए है। जिसमें से पहली और दूसरी कैटेगरी में आने वाले सभी उत्पादों को आर्मी कैंटीन में बेचने की इजाजत थी। जबकि तीसरी कैटेगरी वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया गया था।
It is clarified that the list issued by Kendriya Police Kalyan Bhandar on 29th May 2020 regarding de-listing of certain products has been erroneously issued at the level of CEO. The list has been withdrawn and action is being initiated for the lapse: Chairman, WARB-cum-DG CRPF
— ANI (@ANI) June 1, 2020
क्यों लिया गया आदेश वापस
चेयरमैन, डीजी सीआरपीएफ की तरफ से कहा गया कि 29 मई 2020 को केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार की तरफ से जो उत्पादों को डी लिस्ट करने की सूची गलती से सीईओ स्तर पर जारी की गई है। यह स्पष्ट किया जाता है। सूची को वापस ले लिया गया है।