नितेश दूबे,जन की बात
अमेरिका के कई शहरों में इस वक्त दंगे भड़के हुए हैं। दरअसल ये दंगे श्वेत और अश्वेतों के बीच लड़ाई मानी जा रही है। आपको बता दें कि मिनियापोलिस , हाउस्टेन न्यूयॉर्क के दंगों में कई मॉल को लूट लिया गया। कई जगह आगजनी भी की गई। हजारों की संख्या में अमेरिका में लोग सड़कों पर निकल कर प्रदर्शन कर रहे हैं। अमेरिक पुलिस ने कई जगह बल इस्तेमाल करके इनको रोकने की कोशिश की लेकिन फिर भी अराजकता रुकने का नाम नहीं ले रही। दंगे इतने भयानक है कि प्रदर्शनकारी वाइट हाउस तक पहुंच गए। अमेरिका के राष्ट्रपति को व्हाइट हाउस में बने सबसे सुरक्षित बंकर में छिपना पड़ा। 1989 के बाद पहली बार कोई अमेरिकी राष्ट्रपति सुरक्षा सुरक्षा कारणों से बंकर में गया है।
क्या दंगो के पीछे चीन?
आपको बता दें कि दंगों के पीछे चीन का हाथ भी बताया जा रहा है। हालांकि ये लड़ाई तो श्वेत और अश्वेतों के बीच नस्लीय भेदभाव की है। लेकिन कुछ विशेषज्ञ इसे चीन की चाल भी बता रहे हैं। पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस की महामारी से झेल रही है और अमेरिका में सबसे अधिक कोरोना के मामले पाए गए हैं। लगभग हर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डोनाल्ड ट्रंप चीन पर कोरोनावायरस को लेकर के आरोप मढ़ रहे हैं। लोगों का कहना है कि चीन अमेरिका में इस नस्लीय भेदभाव का फायदा उठाते हुए दंगे भड़काने का काम कर रहा है।
इसके पहले मई में मिनियापोलिस में जो पहले दंगे भड़के उसमें चाइना सरकारी न्यूज़ एजेंसी ग्लोबल टाइम्स ने एक वीडियो दिखाया जिसमें एक अश्वेत को ट्रक के नीचे खींच लिया गया और इसके बाद प्रदर्शन हुए और एक अश्वेत की मौत हुई। इसके बाद ही मिनियापोलिस में दंगे भड़के थे। अगर आप चाइना के सरकारी न्यूज एजेंसी ग्लोबल टाइम्स की खबरें देखेंगे तो उसके अधिकतर ट्वीट अमेरिका में हुए दंगों पर हैं। यानी कि चाइना यह बताने की कोशिश कर रहा है कि अमेरिका अश्वेतों के खिलाफ है।
डोनाल्ड ट्रंप पर आरोप
डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पार्टी पर आरोप भी लगता है कि वह और उनकी पार्टी अश्वेतों के खिलाफ रहती है। डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन पार्टी पर दक्षिणपंथी राजनीति का ठप्पा है वहीं पर ओबामा डेमोक्रेटिक पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। आपको बता दें कि 2008 में बराक हुसैन ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे। 2008 में अमेरिका को पहला अश्वेत राष्ट्रपति बराक ओबामा के रूप में मिला था।
कब कब भड़के दंगे
अमेरिका में दंगों का भड़कना आम बात नहीं है। इसके पहले भी पिछले 60 सालों से अमेरिका में नस्ल विरोधी दंगे भड़कते आए हैं। आपको बता दें कि इससे पहले 1965,1967,1980 , 1992, 2001 , 2014 ,2015 2016 में भी नस्ल विरोधी दंगे भड़के थे और उसमें भी कई लोगों की जानें गई थी। 1968 में मार्टिन लूथर किंग की हत्या के बाद भी अमेरिका में दंगे भड़के थे। इन सब दंगों में यही बताया गया था कि अश्वेतों के साथ अन्याय हो रहा है जिसके कारण दंगे भड़के थे।