लदाख से लेकर सिकिम बॉर्डर तक, लगातार चीनी सेना भारतीय सेना से भिड़ने का एक भी मौका नहीं छोड़ रही है। जहाँ उसकी सेना भारत से सीधे नहीं लड़ सकती तो वहाँ पर पीछे रहकर नेपाल को आगे कर के अपनी गंदी चाल चलने से बाज़ नहीं आ रहा है।
कोरोना वायरस और लदाख सीमा विवाद के बीच देश मे चीन विरोधी माहौल गरमाया हुआ ही था कि कल यानी 16 जून को चीन से सीमा विवाद के बीच लदाख के गलवान वैली में कई सेना जवान और बड़े अधिकारी के शहीद होने की भी खबर आती हैं।
एक तरफ आत्मनिर्भर और चीन विरोधी भावना के कारण लोग चीन से जुड़े समनो का बहिष्कार कर रहे हैं। वहीं पर इस माहौल में एक ऐसी खबर भी आती है जिस्से ऐसा कुछ भी होता नज़र नहीं आ रहा है।
चीन की एक कंपनी को दिल्ली-मेरठ सेमि हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का करोड़ों का ठेका दे दिया गया है। इस ठेके को लेने के दौड़ में देश की नामी कंपनियों ने भी हिस्सा लिया था, लेकिन ठेका मिला तो चीन की कंपनी को।
क्या है दिल्ली-मेरठ सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर ?
दिल्ली-मेरठ सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर एक आगामी प्रोजेक्ट है जिसे भविष्य को लेकर बनाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से दिल्ली एनसीआर को दूर दराज गांव से जोड़ने की कोशिश है। ताकि शहरों की बढ़ती आबादी के भार को कम किया जा सके। इस विकास कार्य के पूरा होने के बाद दिल्ली-मेरठ की दूरी 30 मिनट से भी कम समय में तय कर ली जाएगी।
इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 8 मार्च 2019 को किया गया था। इस प्रोजेक्ट का नाम Regional Rapid Transit System है और इसकी निगरानी National Capital Region Transport Corp (NCRTC) द्वारा की जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में 80km की दूरी तय की जाएगी और इस सेमि हाई स्पीड ट्रेन की रफ़्तार 160km प्रति घंटे की होगी। साथ ही उच्चतम 180km प्रति घंटे की रफ़्तार होने का दावा किया जा रहा है।
इस प्रोजेक्ट पर होने वाले खर्चे का 50% केंद्र सरकार उठाएगी तो वहीं दिल्ली, उत्तरप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान सरकार 12.5% के हिसाब से योगदान करेगी।
कौनसी चीन की कंपनी ले उड़ी प्रोजेक्ट ?
RRTS के दिल्ली-मेरठ प्रोजेक्ट के पहले चरण में अशोक नगर से साहिबाबाद के बीच 5.6km के अंडरग्राउंड सेक्शन के निर्माण के लिए बोली लगाई गई थी। जिसमे मुख्य तः 5 बड़ी कंपनियों ने हिस्सा लिया था।
इसमें देश की नामी कंपनी L&T ने 1170 करोड़ की बोली लगाई थी, तो वहीं टाटा प्रोजेक्ट और एसकेईसी के जेवि ने 1346 करोड़ की बोली लगाई थी। लेकिन प्रोजेक्ट चीन की कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड(STEC) को दे दिया गया जिसने 1126 करोड़ की बोली लगाई थी।
Delhi-Meerut Rapid Rail project goes to a Chinese company, Shanghai Tunnel Eng Co. for Rs.1126 Cr while L&T's bid was at Rs.1170 Cr. #MakeInIndia #VocalForLocal😀
— Porinju Veliyath (@porinju) June 17, 2020
चीन अपने सस्ते समान की वजह से पहले ही देशी बाज़ार पर कब्ज़ा किए बैठा है। कितना भी चीन विरोधी माहौल और चीनी समान के बहिष्कार की बातें हम कर ले, लेकिन सच्चाई अभी यही कहती है कि दुनिया कल भी सस्ते समान को देश हित से ऊपर रखती आई हैं और आज के हालात में भी कुछ खास बदलाव नज़र नही आ रहें है। इस माहौल में ये प्रोजेक्ट चीन की कंपनी को जाना यही दर्शाता हैं।
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