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कोरोना वायरस पर क्यों कर रहा है डब्ल्यूएचओ मुंबई के धारावी मॉडल की बात?

भारत में कोरोना वायरस का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आए दिन आने वाले corona संक्रमण के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। भारत में कोरोना संक्रमण के मामले आए दिन एक नया रिकॉर्ड कायम कर रहे हैं। इस वक्त भारत में 800000 से अधिक कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि की जा चुकी है। वहीं 21 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। साथ ही 500000 से अधिक करना संक्रमित मरीज स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं। इसके बाद भी लगातार नए मामलों ने सरकार व जनता के बीच चिंता का विषय बना हुआ है।

अच्छी खबर

कोरोना के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए जहां देश में तमाम तरह के zone बनाकर उनको सुरक्षित करने की कोशिश की जा रही है। वहीं मुंबई का धारावी अब दुनिया के सामने एक मॉडल के रूप में पेश किया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मुंबई के सबसे बड़े सलम एरिया धारावी में कोरोनावायरस की रोकथाम को लेकर किये गए कार्यो की खूब प्रशंशा की है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि, राष्ट्रीय एकता और वैश्विक एकजुटता के कारण आज मुंबई के सबसे बड़े स्लम धारावी में कोरोनावायरस जड़ से खत्म होने की कगार पर आ चुका है।

इस पूरे मामले पर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस एडहानम गेब्रेयेसेसने कहा कि, ‘दुनिया भर में कई उदाहरण हैं जिन्होंने दिखाया है कि भले ही प्रकोप कितना भी ज्यादा हो, फिर भी इसे नियंत्रण में लाया जा सकता है और इन उदाहरणों में से कुछ इटली, स्पेन और दक्षिण कोरिया, और यहां तक कि धारावी में भी हैं।’

क्या है धारावी मॉडल

संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य प्रमुख ने कहा कि मुंबई के इस स्लम एरिया में टेस्टिंग, ट्रेसिंग, सोशल डिस्टेंसिंग और संक्रमित मरीजों का तुरंत इलाज के कारण यहां के लोग कोरोना की लड़ाई में जीत की ओर हैं।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि,, ” ऐसे देशों से जहां तेजी से विकास हो रहा है, जहां प्रतिबंधों को ढीला कर रहे हैं और अब मामले बढ़ने लगे हैं। हमें नेतृत्व, सामुदायिक भागीदारी और सामूहिक एकजुटता की जरूरत है। ”

इन चुनौतियों के बाद भी सफल रहा धारावी मॉडल

1:- 1 अप्रैल को धारावी में कोरोना का पहला केस सामने आने के पहले ही हमें आशंका थी कि यहां स्थिति बिगड़ सकती है। क्योंकि 80 प्रतिशत लोग सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं। 8 से 10 लाख आबादी वाले उस इलाके में एक छोटे से घर में 10 से 15 लोग रहते हैं।

2:- सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि इतनी बड़ी व घनी आबादी वाले क्षेत्र में क्वारंटीन सेंटर व होम आइसोलेशन की व्यवस्था नहीं की जा सकती थी।

3:- मामले सामने आने के बाद बीएमसी ने “चेस द वायरस” के तहत काम करना शुरु कर दिया।

4:- इसके तहत कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग, फीवर कैंप, लोगों को आइसोलेट करना और टेस्ट करना शुरू किया।

5:-तुरंत प्रभाव से स्कूल व कॉलेजों को क्वारंटीन सेंटर बनाया गया वह इन सेंटर्स के अंदर अच्छे डॉक्टर के साथ-साथ तीन वक्त का अच्छा खाना भी दिया जाने लगा।

6:- 11 हजार लोगों को इंस्टिट्यूशनल क्वारंटीन किया गया।

अब धारावी मे 23 प्रतिशत ऐक्टिव केस हैं। 77 प्रतिशत लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं।।

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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