कोरोना वायरस के बढ़ने की गति के साथ-साथ दुनिया भर के लोगों की उम्मीद भी कोरोना वायरस वैक्सीन के इजाद को लेकर बढ़ती जा रही हैं। पिछले 1 महीने में दुनिया के अलग-अलग देशों से कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने की खबर आ रही है।
सबसे पहले मार्च महीने में ही इजरायल के प्रधानमंत्री ने Israel’s Institute for Biological Research द्वारा कोरोना वायरस की वैक्सीन को कुछ ही दिन में विकसित कर लेने की बात रखी गई थी।
जिससे पूरी दुनिया के लोगों में एक नई उम्मीद सी बंध गई थी। लेकिन बाद में धीरे-धीरे लोगों की उम्मीद इन खबरों को लेकर कम होती चली गई।
इसके बाद इस तरह की खबरों की एक झड़ी से लग गई। कई देश कोरोना वायरस के वैक्सीन बनाने के खबर से लोगों को नई उम्मीदें जताने लगे। इसी कड़ी में ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका के शोध संस्थानों में सबसे ज्यादा परीक्षण करने की बात कही जा रही है।
कितने चरणों में तैयार होता है किसी भी बीमारी की वैक्सीन ?
किसी भी नए बीमारी के इलाज के लिए टीका बनाए जाने में करीब 4 चरणों से गुजरना होता है।
1. पहला चरण
पहले चरण में बीमारी को समझकर उस बीमारी को खत्म करने के लिए साजो- समान और तरीके पर शोध किया जाता है।
2. दूसरा चरण (The pre-clinical)
इस चरण में टीके को उन जानवरों पर टेस्ट करके देखा जाता है जिनका अंदरूनी और रोग प्रतिरोधक प्रक्रिया इंसानों से मिलती जुलती है।
3. तीसरा चरण (Clinical development/Test)
तीसरे चरण को तीन अलग स्तर पर किया जाता है (Phase 1,2,3) और यह स्तर ही वैक्सीन के सफल और नाकाम होने को तय करते है।
Phase-1
यह चरण सबसे ज्यादा जटिल और सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक होता है क्योंकि इसमें इंसानों पर पहली बार उस टीके का प्रयोग किया जाता है।
इस चरण के लिए शोध संस्थान को काफी सारे मानकों का पालन करते हुए सरकार से अनुमति लेनी होती है। इस चरण में उस इंसान की जान को भी खतरा होता है जिस इंसान पर यह परीक्षण किया जाता है। इसको लेकर सरकार और उस व्यक्ति को भरोसे में लेना होता है।
इस चरण के पहले फेस के लिए सीमित संख्या में लोगों पर परीक्षण किया जाता है और वह भी कम मात्रा के टीके का।
Phase-2
पहले फेज के सफल परीक्षण के बाद दूसरे फेज के लिए लोगों की संख्या बढ़ा दी जाती है और पहले फेज के लोगों पर अब ज्यादा मात्रा में टिके की दवा देकर असर और उसकी गति नापी जाती है।
Phase-3
इस चरण तक पहुंचने के लिए बाकी दो चरणों के अध्ययन के हिसाब से एक बड़े आबादी पर इसकी प्रतिक्रिया जांचने के लिए दवा का प्रयोग किया जाता है। जिसमें अलग-अलग उम्र और क्षेत्र के लोगों को शामिल किया जाता है। इसमें शामिल लोगों की संख्या हजारों में हो सकती है।
4. चौथा चरण
इस चरण में शोध संस्थान इस दवाई से जुड़े कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए, इस दवाई के बड़े पैमाने पर बनाने का काम शुरू कर देते है।
इन सारे चरणों में कई सालों का वक्त लग जाता है और साथ ही अरबों रुपए का खर्च भी आता है।
इसीलिए ऐसी वैक्सीन या तो बड़ी शोध संस्थान या फिर सरकार के मदद से ही विकसित की जा सकती है।
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कोरोना के वैक्सीन खोज को दस गुना से भी तेज गति में किया जा रहा है।
शोध संस्थान जो वैक्सीन बनाने के हैं सबसे करीब
बहुत से उम्मीदवार इस दौर में शामिल है और अलग-अलग चरण पर उनके प्रयास लगातार चल रहे हैं।
इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और चीन की Beijing Institute of Biotech कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने के अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इस चरण की सफलता के बाद संस्थान सरकारी मंजूरी के बाद कोरोना वायरस वैक्सीन का उत्पाद शुरू कर देगी।
दुनिया के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी बीमारी के इलाज के लिए पूरी दुनिया के शोध संस्थानों और देश के सरकारों में प्रतिस्पर्धा देखने को मिली हैं। हर देश इस महामारी के इलाज ढूंढने का पहला श्रेय लेना चाहता है।