कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण देश में व्यापार बड़ी मात्रा में प्रभावित हुआ है। जिससे कोरोना काल से पहले तेजी से बढ़ता हुआ, मोबाइल बाजार भी अछूता नहीं रहा है। Canalys की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्ष जून तिमाही में देश में मोबाइल बाजार 48 फ़ीसदी सुकड़ गया है। यदि बाजार में हिस्सेदारी की बात करें, तो भारत में टॉप 5 मोबाइल शिपमेंट करने वाली वाली कंपनियों में से चार चीनी है। बाजार में हिस्सेदारी की बात करें, तो चीनी कंपनी शियाओमी 30.9 प्रतिशत मार्केट शेयर के साथ पहले नंबर पर है। जबकि विवो, सैमसंग, ओप्पो, रियलमी, क्रमशः 21.3%, 16.8%, 12.9%, 10% के साथ दूसरे,तीसरे, चौथे ,पांचवें स्थान पर रही है। जबकि अन्य कंपनियों का मार्केट शेयर 8.1% रही, इनमें मोटोरोला, लेनोवो, एप्पल, और अन्य भारतीय कंपनियां शामिल है।
आपको बता दें, कि इस वर्ष जून तिमाही भारतीय बाजार में मोबाइल कंपनियों के द्वारा 17.3 मिलियन मोबाइल डिवाइस का शिपमेंट किया गया है। जबकि पिछले वर्ष जून तिमाही में यह आंकड़ा लगभग 33 मिलियन के करीब था।
आंकड़ों में चौंकने वाली बात यह है, कि सोशल मीडिया पर बॉयकॉट चाइना, मेड इन इंडिया, जैसे अभियान भी चले, लेकिन उपभोक्ताओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा, चीनी फोनों की जमकर खरीदारी की गई, और चीनी मोबाइल फोनों को खूब पसंद किया। यदि बात गैर चीनी मोबाइल फोन कंपनी की करें तो केवल सैमसंग की टॉप 5 में जगह बना पाई है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है, कि जून 2019 की तिमाही की तुलना में सैमसंग के मार्केट शेयर में 5 % से अधिक की गिरावट आई। जबकि चीनी कंपनी विवो, ओप्पो, और रियलमी के मार्केट शेयर में क्रमशः 3.8%, 3.7%, 1.9% की बढ़ोतरी हुई है।