लालजी टंडन का आज सुबह 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। लालजी टंडन अटल जी के सबसे करीबी साथियों में से एक थे। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को संगठनात्मक विस्तार देने में लालजी टंडन का काफी बड़ा योगदान रहा। जब पहली बार बसपा और भाजपा गठबंधन की सरकार बनी थी तो उसमें लालजी टंडन का सबसे बड़ा योगदान था। मायावती लालजी टंडन को अपना भाई मानती थी और उनके लिए हमेशा राखी भेजती थी। वह तीन बार विधानसभा के सदस्य रहे और जब 2009 में अटल जी को बीमारी के चलते संसदीय चुनाव ना लड़ने का फैसला किया। तो उस वक्त सबसे बड़ा सवाल था कि अब लखनऊ से कौन लड़ेगा? अटल जी की विरासत को कौन संभालेगा। लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं।
उस वक्त अटल जी ने लालजी टंडन को चुनाव लड़ने के लिए चुना था और लालजी टंडन लखनऊ में चुनाव लड़े और आसानी से जीतकर संसद पहुंच गए हैं। लालजी टंडन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक सभासद से की थी और बाद में सांसद बने। उसके साथ ही 2 राज्यों के राज्यपाल की भूमिका निभाई।
संघ के दिनों से ही दोनों नेता करीबी दोस्त रहे
अटल जी के सबसे करीबी लालजी टंडन थे। लालजी टंडन शुरू से ही संघ से जुड़े हुए थे और जिसके कारण वह अटल जी के करीब आ गए थे,क्योंकि वह अटल जी साथ में ही संघ के कार्य किया करते थे। आपको बता दें कि दोनों के बीच धीरे-धीरे दोस्ती गहराती गई। इसके साथ ही जब 2009 में लालजी टंडन को लखनऊ से टिकट मिला तो वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई से आशीर्वाद लेने गए थे और उन्होंने पूरे प्रचार के दौरान कहा कि अटल जी का आशीर्वाद उनके साथ है। साथ ही वह अटल जी का खड़ाऊँ लेकर आए हैं। 2014 में जब पीएम मोदी के वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला हुआ उस वक्त बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह गाजियाबाद से सांसद थे। लेकिन तभी खबर आई कि राजनाथ सिंह लखनऊ से चुनाव लड़ना चाहते हैं। उस पर लालजी टंडन ने नाराजगी व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि मैंने मोदी के लिए कहा है कि वह अगर लखनऊ से चुनाव लड़ेंगे तो उन्हें खुशी होगी। लेकिन राजनाथ सिंह जी के लिए मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा। हालांकि बाद में सफाई दी कि यह फैसला पार्टी करना है कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा? इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह जी से मेरा करीबी रिश्ता है हम दोनों आपस में बात कर लेंगे।
इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि लखनऊ मेरे दिल में बसता है ,मैं लखनऊ का ही हूं और लखनऊ के लिए ही कार्य किया। लखनऊ में मेरा जन्म हुआ और अंत भी यहीं होगा। अंत में उन्होंने प्रदेश में ही आखिरी सांस ली।