एक तरफ जहां देश में कोरोनावायरस ने हाहाकार मचाया हुआ है। वही बिहार व पूर्वोत्तर के राज्यों में बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। बिहार राज्य में तो बाढ़ से स्थिति और अधिक गंभीर होती जा रही है।
आपको बता दें कि, गंडक नदी में तय सीमा से अधिक पानी छोड़ने के कारण गुरुवार की आधी रात गोपालगंज व पूर्वी चंपारण जिले में उसका मुख्य तटबंध तीन जगह टूट गए। जिसके चलते एक बड़े भूभाग पर जलमग्न हो गया है।
स्थिति कितनी भयानक है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर (एनएच 28) पर यातायात ठप्प पड़ गया है। यही नही हायाघाट के पुराने रेल पुल के गार्डर पर बागमती का पानी चढ़ने से दरभंगा-समस्तीपुर रेलमार्ग बंद हो गया है। आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि 10 जिलों की 435 पंचायतों में करीब आठ लाख की आबादी बाढ़ से पीड़ित हुई है।
पानी का बहाव इतना तेज है कि, दिल्ली-काठमांडु राजमार्ग 28 स्थित डुमरियाघाट के निर्माणाधीन पुल के पास कटाव शुरू है। इस कारण उस मार्ग पर आवागमन रोक दिया गया है। एनडीआरएफ की टीमों ने रात दो बजे से रेसक्यू शुरू कर दिया है।
आपदा से निपटने के लिए राज्य सरकार ने वायुसेना से सहायता मांगी है। आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी रामचंद्रू डू ने बताया कि, बाढ़पीड़ितों के बीच 28 राहत कैंप चलाये जा रहे हैं। 192 जगहों पर सामुदायिक रसोई चलायी जा रही हैं, जिनमें 81 हजार से अधिक लोगों को भोजन कराया जा रहा है। सर्वाधिक 122 सामुदायिक रसोई दरभंगा में शुरू की गयी हैं। गोपालगंज में 14,पूर्वी चंपारण में 27,सीतामढ़ी में तीन,शिवहर में तीन, मुजफ्फरपुर में 15 और खगड़िया में एक सामुदायिक रसोई चल रही है।