अमन वर्मा (जन की बात)
36 राफेल विमानों ने से पांच राफेल लड़ाकू विमान फ्रांस के मेरिग्नैक से आज यानी सोमवार को उड़ान भरेंगे और दो दिन बाद बुधवार को भारत के अंबाला एयर बेस में पहुचेंगे। लद्दाख में भारत-चीन गतिरोध के बीच, इन विमानों को एक सप्ताह के भीतर परिचालन में तैनात किया जा सकता है।
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के अनुसार, कुल 12 भारतीय वायु सेना (IAF) पायलटों को राफेल लड़ाकू विमान पर पूरी तरह से प्रशिक्षित किया गया है, जिसे अपनी बेजोड़ अग्नि शक्ति के साथ इस क्षेत्र में एक गेम-चेंजर माना जाता है। कई अन्य पायलट फ्रांस में अपना प्रशिक्षण पूरा कर रहे हैं अनुबंध में कहा गया है कि कुल 36 पायलटों को फ्रांसीसी अधिकारियों द्वारा राफेल को उड़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
आपको बता दें कि सितंबर 2016 में हस्ताक्षरित अनुबंध के अनुसार, हर साल 12 विमान वितरित किए जाने हैं। जिसमे फ्रांसीसी रक्षा प्रमुख डसॉल्ट एविएशन, जो राफेल जेट का निर्माण कर रहा है, पिछले साल अक्टूबर से वायुसेना को कुल नौ विमान सौंपे थे। जो फ्रांस में भारतीय वायुसेना के पायलटों द्वारा 10 वीं स्वीकृति परीक्षण के दौर से गुजर रहा है। सामान्य परिस्थितियों में, पूर्ण परिचालन तैनाती में कम से कम छह महीने लगते हैं, मगर चीन के साथ हालातों को देखते हुए, राफेल की तैनाती 1 हफ्ते के भीतर हों सकती है।
फ्रांस से भारत लाने की योजना।
योजना के अनुसार, राफेल विमान फ्रांस के मेरिग्नैक से रवाना होंगे, जहां डसॉल्ट एविएशन की उत्पादन यूनिट स्थित है। वहां से वे सीधे संयुक्त अरब अमीरात में अबू धाबी के पास अल- धफरा में एक रात के ठहराव के लिए फ्रांसीसी एयरबेस में रुकेंगे। यह 10 घंटे की लंबी यात्रा होगी और राफेल विमान के साथ फ्रांसीसी वायु सेना के दो मध्य-वायु ईंधन (MID-AIR REFULERS) भरने वाले विमान भी होंगे।
पायलटों को एयरबस 330 मल्टी-रोल टैंकर ट्रांसपोर्ट (MRTT) विमान के माध्यम से मध्य हवा में ईंधन भरने के लिए विशेष प्रशिक्षण किया गया है।
यह मूल रूप से प्रशिक्षण मॉड्यूल का हिस्सा नहीं था क्योंकि भारतीय वायुसेना रूसी विमान IL-78 का उपयोग मध्य-वायु ईंधन भरने के लिए करती है। यूएई की दूरी राफेल द्वारा बहुत कम समय में कवर की जा सकती है, लेकिन उन्हें टैंकरों के साथ तालमेल रखना होगा।
एक रात रुकने के बाद, जेट विमान हरियाणा के अंबाला के लिए उड़ान भरेंगे, जहां IAF के 17 स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरो’ (Golden Arrows) राफेल सेनानियों के पहले स्क्वाड्रन को सौंप दी जाएगी।