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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020- भारत चीन सीमा विवाद के बीच, मंदारिन भाषा को किया विदेशी भाषाओं की श्रेणी से बाहर।

अमन वर्मा (जन की बात)

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) ने मंदारिन या चीनी भाषा को विदेशी भाषाओं की श्रेणी से हटा दिया है। मई 2019 में जारी नीति के प्रारूप संस्करण में भाषा को शामिल किया गया था, लेकिन इस सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित अंतिम नीति दस्तावेज से मंदारिन भाषा को हटा दिया गया।

एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक साल से मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) और विदेश मंत्रालय (एमईए) के बीच इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जा रहा था, जिसमें भारतीय छात्रों को मंदारिन शिक्षण और उनके सुरक्षा के संदर्भ के सवालों को उठाया गया।

भारत-चीन के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए एक साल के दौरान, भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी के अलावा, कोरियन, जापानी, थाई, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, पुर्तगाली और रूसी विदेशी भाषाओं को भी माध्यमिक स्तर पर पेश किया जाएगा।

उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने इस बदलाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह केवल उदाहरणों का एक सेट है, न कि अनुमत भाषाओं की एक विस्तृत सूची। स्कूल अन्य भाषाओं की पेशकश करने के लिए स्वतंत्र हैं। मंदारिन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा कक्षा X या कक्षा XII स्तर पर दी जाने वाली विदेशी भाषाओं की सूची में नहीं है, जिसमें वर्तमान में तिब्बती, थाई, जापानी, नेपाली, अरबी और फ़ारसी के साथ-साथ यूरोपीय भाषाएँ शामिल हैं, रूसी, स्पेनिश, फ्रेंच और जर्मन के रूप में।

आपको बता दें भारतीय स्कूलों में मंदारिन सिखाने की योजना और चीनी स्कूलों में हिंदी सिखाने के लिए, 2006 में दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित एक एजुकेशन एक्सचेंज प्रोग्राम किया गया था, जिसे 2015 में चीन की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रेनियू किया गया था। इस योजना में एक मेमोरंडम ऑफ़ टर्निंग शामिल था।

विदेश मंत्रालय ने सीबीएसई पाठ्यक्रम से मंदारिन को निकालने के लिए कोई कदम उठाने की पहल की है या नहीं, इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं दिया है।

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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