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क्या कमरे में पड़े सुशांत सिंह के शव की वीडियो बना कर वायरल करना, एक साजिश के तहत था ?

कई लोग सुशांत सिंह के मौत को आत्महत्या मानने को तैयार नही है। उनका का मानना है कि ये एक सोची समझी साजिश के तहत किया गया है।

सुशांत सिंह के परिवार और कई पुराने जानने वालों का यही कहना है कि ऐसा इंसान आत्महत्या कर ही नही सकता और मासिक तौर पर बीमार होना बस एक बनावटी बातें हैं।

उनके पिता ने मीडिया में बताया है कि उन्होंने मुम्बई पुलिस को एक अर्जी देते हुए सूचित भी किया था कि उनके बेटे की जान खतरे में हैं।

उनके बावर्ची ने भी ये बताया हैं कि, रिया ने उनकी कई दवाई बदल दि थी। साथ ही मनोचिकित्सक से भी इलाज के लिए रिया ने ही दवाब बनाया था।

घटना वाले दिन घर के बाहर के कैमरे उस दिन बंद थे और ना जाने ऐसे कई तथ्य एक-एक कर के सामने आ रहे है। जो इस मामले को एक पूरी साजिश साबित कर रहे है।

अंकिता लोखंडे के बयान से साजिश होने की हुई पुष्टि

अंकिता लोखंडे सुशांत सिंह की पुरानी साथी रह चुकी हैं। सुशांत को वे तब से जानती है जब सुशांत सिर्फ एक कलाकार थे न कि एक बड़े स्टार ।

उन्होंने एक बयान में बताया की उन्हें सुशांत की मौत की खबर एक पत्रकार के द्वारा फ़ोन पर दी गई थी। साथ ही उन्हें सुशांत के कमरें में पड़ी लाश की वीडियो भी मैसेज में 10मिनट में किसी ने भेज दीया था। उन्होंने इस तरह के घटना को शर्मनाक और गलत बताया है, जहाँ किसी के लाश को इस तरह से सार्वजनिक किया गया।

ये वीडियो देश मे आग की तरह फैल गया और साथ ही ऐसे ही कई और भी वीडियो और तस्वीर भी सार्वजनिक मंच पर फैल गए थे।

इसके विडियो के फैलने के बाद मुम्बई के साइबर क्राइम सेल ने इसे फैलाने से मना किया साथ ही आगे जो भी फैलाएगा उस पर करवाई करने की बात कही।

वीडियो को लेकर उठे कई सवाल

1.सबसे बड़ा सवाल यहां यह आता है कि इतने बड़े हाई प्रोफाइल केस से जुड़े इस वीडियो को रिकॉर्ड किसने किया और क्या सोचकर इसको आम सार्वजनिक जीवन में फैलाया गया वो भी इतनी जल्दी ?

2.क्या इस वीडियो को जानबूझकर रिकॉर्ड करके फैलाया गया ताकि आम जनता में यही लगे कि यह पूरी तरह से खुदकुशी थी ?

3.क्यों उस कमरे में ईतने लोग एक साथ घुसे हुए थे, जो सबूतों को नुकसान पहुंचा सकते थे ?

4.जिस फोन से इस वीडियो को रिकॉर्ड किया गया क्या उस व्यक्ति पर कोई भी कार्रवाई की गई ?

5.अगर इस तरह से छुपा कर वीडियो बनाया जा सकता है तो सबूत मिटाने या हटाने में कितना समय लगता ?

ऐसे कई सवाल और सबूत सामने होने के बाबजूद भी 40 दिनों से ऊपर हो चुके है, फिर भी एक भी FIR दर्ज नही हो पाई है।

इन सब से तो यही लगता है कि सबूत खोजे नही मिटाए जा रहे हैं।

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