5 अगस्त का दिन राम मंदिर निर्माण से जुड़े हुए लोगों ने भूमि पूजन के लिए तय किया था जिसके पीछे बहुत सारे तर्क दिए गए थे। लेकिन इस निर्माण के पीछे 9 नंबर का भी बड़ा योगदान रहा है।
रामलला अपने भव्य निवास में 492 साल के बाद वापस लौटने वाले हैं लेकिन इस भव्य निर्माण के पीछे सदियों का राम भक्तों का संघर्ष हैं। पिछले कुछ दशकों की कहानी तो आप सभी को पता होगी लेकिन इन दशकों से काफी पहले से ही रामलला को अपने पुराने निवास में लौटाने की मुहिम अलग-अलग दौर में अलग-अलग लोगों ने उठाई है।
चाहे वो 1853 में पहली बार राम भक्तों द्वारा एक साथ मिलकर अपने प्रभु श्री राम के लिए आवाज उठाना हो या 1885 में अपने आस्था को इंसाफ दिलाने के लिए पहली बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाना हो। ऐसे अनगिनत किस्से है जो आज की पटकथा के सूत्रधार थे।
लेकिन आज हम सिर्फ उन 9 नंबर से जुड़ी घटनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने आज के दिन को संभव होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
क्या है 9 नवंबर की कहानी ?
आज यानी 5 अगस्त 2020 को भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण लिए भूमि पूजन किया जा रहा है। तब ये जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि पहली बार कब भूमि पूजन के लिए ईट रखी गई थी।
- 9 नवंबर 1989 को, जी हां इसी तारीख को पहली बार दलित समाज के कामेसवर चौपाल द्वारा मंदिर शिलान्यास की पहली ईट रखी गई थी।
- 9 नवंबर 2011 को ही पहली बार इलाहाबाद से होते हुए मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था।
- 9 नवंबर 2019 को ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया था।
- 9 साल, यानी 2011 से लेकर 2019 के बीच में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला था।
9 नंबर तो सिर्फ एक हालिया घटनाओं को दर्शाता है लेकिन कई सारे तारीखों और घटनाओं ने इस दिन को साक्षात्कार होने में अपनी-अपनी भूमिका निभाई है। लेकिन ये 5 अगस्त 2020 का दिन आज से सदियों बाद भी याद रखा जाएगा।