ममता बनर्जी के सत्ता में आते ही बंगाल की राजनीति ऐसी गरमाई है कि थमने के बजाए रोज़ इसका तापमान थोड़ा और बढ़ जाता है। दीदी की सत्ता में वापसी होते ही खून के धब्बों से बंगाल ऐसा लतपत हुआ कि अभी तक उनके निशान धूमिल नहीं हुए। चुनाव के नतीजे के मात्र 24 घंटे के अंदर बीजेपी के 5 कार्यकर्ताओं की हत्या हुई। ऐसी हिंसा भारत जैसे देश में लोकतंत्र का गला घोंटती है। हालांकि इस सब की जाँच जारी है कि इसका ज़िम्मेदार कौन है?
आज त्रिपुरा में टीएमसी सुप्रीमों और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी और केंद्र सरकार पर हमला बोला है। ममता ने बंगाल चुनाव के बाद हुए हिंसा पर चुप्पी तोड़ी है और केंद्र सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा है:- *भाजपा के लोगों को सिर्फ तानाशाही आती है। भाजपा दूसरी पार्टियों को अपना कार्यक्रम आयोजित नही करने देते हैं।
भाजपाइयों ने तृणमूल पार्टी को आज त्रिपुरा में रैली आयोजित करने से रोका। क्या ये लोकतंत्र है? बंगाल चुनाव के बाद से बीजेपी का कहना है कि बंगाल में हिंसा हुई है लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ है। कुछ बीजेपी के अधिकारी मानव अधिकार पैनल का हिस्सा बनकर गलत रिपोर्ट पेश कर चुके हैं। केंद्र ने सारे संस्थानों को बर्बाद कर दिया है। ये सब गलत हो रहा है । जो भी हुआ चुनाव के पहले हुआ, चुनाव के बाद कुछ भी नही हुआ।
ममता बनर्जी ने ये बातें तृणमूल कांग्रेस के शहीद दिवस पर कहीं हैं। हालांकि अब तक सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दी जा चुकी हैं। इस हिंसा में मरने वाले अभिजीत सरकार के भाई विस्वाजीत सरकार ममता बनर्जी पर कई आरोप लगा चुके हैं।
विस्वजीत सरकार ने इंडिया न्यूज़ के प्राइम टाइम प्रोग्राम जनता का मुकदमा के पहले एपिसोड में बताया है कि टीएमसी के लोगों ने जीत के उन्माद में आकर उनके भाई अभिजीत सरकार को टीवी केबल से गला घोंट के मारा है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य में चुनाव के बाद हुए हिंसा में हत्या और बलात्कार जैसे कृत्यों का ज़िक्र किया है।
एक याचिका में ममता बनर्जी को भी पक्षकार बनाया गया लेकिन शीर्ष अदालत ने उन्हें नोटिस नहीं भेजा। इस मामले की पैरोकारी कर रहे वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने एसआईटी जांच की मांग की थी। एसआइटी की मांग को जायज मानते हुए जस्टिस विनीत सरन की अध्यक्षता वाली पीठ ने नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा था। इस मामले को लेकर पीड़ित पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में भी गुहार लगाई थी और सीबीआई जांच की मांग की थी।
जनता का मुकदमा के दूसरे एपिसोड में एक गैंगरेप पीड़िता के दर्द को राष्ट्रीय चैनल पर जनता के वकील प्रदीप भंडारी उठाया जिसे सुन कर रूह काँप उठती है। बलात्कारियों ने उस बेटी के पिता के सामने इस घिनौने अपराध को अंजाम दिया। बलात्कारियों ने लड़की के पिता से कहा कि हमें हिंदू लड़की चाहिए। वे पीड़िता के पिता के सामने उसका बलात्कार करते रहे। जनता का मुकदमा राष्ट्रीय स्तर पर खूब जनसमर्थन बटोर रहा है। लोगों ने ट्विटर पर प्रदीप भंडारी को मजलूमों की आवाज़ बनने के लिए धन्यवाद भी कहा ।