8 तारीख को दिल्ली के जंतर मंतर पर लगे मुस्लिम विरोधी नारों के बाद देश में जहां सांप्रदायिक व कट्टरपंथी सोच को लेकर एक नई बहस छिड़ चुकी थी तो वही दिल्ली से सटे गाजियाबाद में डासना देवी मंदिर में सो रहे एक साधु पर जानलेवा हमला भी हुआ।
इस वारदात के बाद प्रदीप भंडारी और उनकी टीम ने इन्वेस्टिगेशन जनरलिज्म का एक अनूठा और जीता जागता उदाहरण पेश करते हुए देश के सामने सनसनीखेज खुलासे किए…
प्रदीप भंडारी ने जनता का मुकदमा के माध्यम से अपने तथ्यों के साथ जनता के सामने यह बात रखी की जंतर मंतर पर जो भी हुआ उसका कहीं ना कहीं डासना में साधु पर हुए हमले से लिंक है।
जन की बात की टीम ने जब डासना देवी मंदिर पर साधु पर हुए हमले की खोजबीन की तो वहां पर चौका देने वाले तथ्य सामने निकल कर आए, हमारी इन्वेस्टिगेशन में यह पता लगा कि बिहार से आए संत जिनका नाम नरेशानन्द सरस्वती जिनकी उम्र 58 साल है।
उनपर सुबह 3:30 बजे अज्ञात लोगों ने तेज धारदार चाकू से जानलेवा हमला किया। जिसके बाद उन्हें गाजियाबाद के वसुंधरा हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया। हमारी खोज के दौरान वहां पर हमें चश्मदीद के बयान भी सुनने को मिले जिस ने यह स्पष्ट किया कि बिहार से आए संत जिनपर जानलेवा हमला हुआ है वह भी जंतर-मंतर पर हुए कार्यक्रम को अटेंड करने के लिए दिल्ली आए थे।
और ठीक उससे अगले दिन सुबह 3:30 बजे रात्रि में सोते हुए कुछ अज्ञात लोगों ने उनपर हमला किया। प्रदीप भंडारी ने जनता के मुकदमा के माध्यम से देश की जनता के सामने इस बात का खुलासा किया की जंतर मंतर पर जो हुआ उसका सीधा कनेक्शन डासना मंदिर पर संत पर हुए जानलेवा हमले से है।