विपिन श्रीवास्तव, जन की बात
2 मई 2021, बंगाल चुनाव के नतीजे का दिन, और शायद बंगाल के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला दिन, यह वही दिन था जब एक तरफ वोटों की गिनती चल रही थी और दूसरी तरफ सत्तापक्ष तृणमूल कांग्रेस के गुंडों द्वारा बंगाल में भीषण मार-काट और आगजनी की जा रही थी ।
जो लोग टीएमसी का समर्थन नही कर रहे थे उनकी निर्मम हत्याएं की गईं, विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं और उनके परिवार को मारा गया और उनके दफ्तर जलाए गए। इसके अलावा क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए महिलाओं का धर्म के आधार पर चयन कर उनके साथ सामूहिक बलात्कार किये गए ।
और यह सब लगातार तीन दिन तक चलता रहा और प्रदेश की सरकार और प्रशासन हाथ पर हाथ धरे इस तरह बैठे रहे जैसे ये सब उन्ही लोगों के निर्देश पर हो रहा हो ।
हिंसा के दो महीने के बाद तक हिंसा में पीड़ित लोग न्याय की आस के लिए दर-बदर भटकते रहे लेकिन इनकी आवाज़ किसी ने न सुनी, ममता बैनर्जी के साथ बैठकर ‘चाय बिस्कुट’ खाने वाले पत्रकारों और मीडिया के दिग्गजों ने भी बंगाल हिंसा को अनदेखा कर उनकी आवाज़ नही उठाई ।
मगर 9 जुलाई 2021 को इंडिया न्यूज पर प्रदीप भंडारी ने अपने शो ‘जनता का मुकदमा’ के पहले ही एपिसोड में न सिर्फ बंगाल पीड़ितों की आवाज़ उठाई, बल्कि प्रदीप खुद उनकी आवाज़ भी बने और न्याय की सबसे बड़ी मुहिम शुरू की ।
इसके बाद एक के बाद एक कई बार लगातार प्रदीप भंडारी ने अपने शो के माध्यम से बंगाल हिंसा के पीड़ितों की आवाज उठाई और इस मुहिम को लगातार आगे बढ़ाते रहे ।
इसी सिलसिले में आज प्रदीप भंडारी और जन की बात को बंगाल हिंसा की लड़ाई में एतिहासिक जीत हांसिल हुई है ।
सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल हिंसा पर आज ये आदेश दिया कि हिंसा की जांच CBI और SIT करेगी और 60 दिन के अंदर अपनी पहली रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा करेगी।
ये प्रदीप भंडारी और जन की बात की टीम के साथ साथ बंगाल हिंसा के पीड़ितों के लिए बड़ी जीत है। साथ ही बंगाल सरकार और ममता बैनर्जी के मुह पर करारा तमाचा भी है जो अभी तक यह कहती आयी हैं कि बंगाल में “कुछ नही हुआ” ।
आज सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रदीप भंडारी ने जनता का मुकदमा पर बंगाल हिंसा केस में पीड़ितों के हक़ के लिए लड़ रहे वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी से बात की और कोर्ट के आदेश पर चर्चा की ।
जिसमे महेश जेठमलानी ने बेहद दिलचस्प तथ्य रखते हुए बंगाल हिंसा की कई जरूरी बातें बताईं ।
उन्होंने प्रदीप से बात करते हुए कहा:
‘टीएमसी सरकार तथ्यों पर नही लड़ सकी, वो टेक्निकल तर्कों का प्रयोग कर रहे थे, इस केस में गवाहों का मुख्य रोल था, उनकी गवाही इस केस के लिए सबसे बड़ा सबूत थी । अब अंतिम परिणाम ये दिखायेगा की बंगाल हिंसा एक उच्च स्तर पर प्रायोजित आयोजन की तरह था’
आगे उन्होंने कहा: ‘स्वतंत्र चुनावों को बदनाम करने की अब आदत बन गयी है, टीएमसी कभी तथ्यों पर नही लड़ती वो हमेशा आरोप प्रत्यारोप पर ही टिकी रहती है ।
आप एजेंसियों और संस्थानों के निष्कर्षों को नही नकार सकते, ये भारत के लिए खतरनाक ट्रेंड है’
उन्होंने टीएमसी के ऊपर निशाना साधते हुए कहा:
‘कोर्ट के इस फैसले ने टीएमसी के झूठ का पर्दाफाश किया है, टीएमसी सरकार ने हमले के पीछे की सच्चाई को छुपाया था।
कोर्ट में सभी पाँच जजों ने सर्वसम्मति से ये फैसला दिया है और यह फैसला टीएमसी सरकार के झूठ की सीधी सीधी निंदा करता है’
फिलहाल कोर्ट का ये फैसला बंगाल हिंसा के पीड़ितों की एक बड़ी जीत है, साथ ही साथ प्रदीप भंडारी और जन की बात की पूरी टीम के लिए भी यह फैसला एक बड़ी जीत की तरह है ।
प्रदीप भंडारी ने कहा है कि बंगाल हिंसा के पीड़ितों के न्याय के लिए उनकी ये लड़ाई आगे भी जारी रहेगी, जब तक पीड़ितों को न्याय नही मिल जाता ।