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प्रदीप भंडारी के सवालों पर तृणमूल कांग्रेस के मानव जायसवाल हुए सन्न : करने लगे गोदी मीडिया की बाते।

हर्षित शर्मा।

गुरुवार को सुबह कोलकाता हाईकोर्ट ने बंगाल चुनाव हिंसा को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया। कोलकाता हाई कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की बेंच ने सर्वसम्मति के साथ यह फैसला दिया और कहा की बंगाल चुनाव के बाद जो हिंसा हुई उसको कोर्ट स्वीकारता है और जनता को न्याय देने के लिए इस हिंसा की जांच करने की जिम्मेदारी CBI के हाथों में देता है। कोलकाता हाई कोर्ट का यह फैसला निश्चित तौर पर बंगाल हिंसा के पीड़ितों के लिए एक बहुत बड़ी राहत है और लोकतंत्र की जीत है। इससे पहले भी जुलाई के महीने में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर ही बंगाल हिंसा की एक रिपोर्ट तैयार करी थी और कोर्ट के समक्ष पेश भी की लेकिन बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने उस वक्त आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू करके लोगो की आंख पर पर्दा डालना चाहा लेकिन आज हाईकोर्ट के फैसले के बाद इस वीर बिल्कुल साफ हो गई है। जनता का मुकदमा के आज के एपिसोड में जनता के वकील प्रदीप भंडारी ने इसी मुद्दे को उठाया और बंगाल हिंसा के पीड़ितों को यह आश्वासन दिया कि न्याय की इस लड़ाई में वह हर पीड़ित के साथ हैं। आज के मुकदमे में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मानव जायसवाल भी शामिल रहे। प्रदीप ने मानव जायसवाल से सीधे तौर पर तीखे सवाल पूछे। प्रदीप भंडारी के सवालों से मानव जायसवाल सकपकाए हुए नजर आए मानव तृणमूल कांग्रेस का सच नंगा होकर सड़क पर आ रहा था। जब प्रदीप भंडारी ने मानव जायसवाल से पूछा कि हाईकोर्ट के इस आदेश को तृणमूल कांग्रेस किस तरह से देखती है तब मानव जायसवाल ने जवाब देते हुए कहा कि यह हाईकोर्ट का आदेश नहीं बल्कि एक संज्ञान है। जब प्रदीप भंडारी ने मानव जायसवाल के सामने तथ्यों की झड़ी लगाते हुए उनके आगे पुख्ता दलीलें रखी और जनता से झूठ बोलने के लिए माफी मांगने को कहा तो मानव जायसवाल सन्न रह गए और बचने के लिए गोदी मीडिया और चाटुकारिता की बातें करने लगे। मानव जायसवाल का गोदी मीडिया और चाटुकारिता की बातें करना और प्रदीप भंडारी के तीखे सवालों को बड़ी चतुराई से जवाब ना देना साफ तौर पर बताता है कि तृणमूल कांग्रेस हाईकोर्ट के इस फैसले से कितनी चिंतित और परेशान है। हम उम्मीद करते हैं किसी भी सीबीआई इस मामले की सख्ती से जांच करेगी और पीड़ितों को न्याय देगी। कोलकाता हाईकोर्ट के इस फैसले पर आपका क्या मानना है आप हमें कमेंट करके बता सकते है।

 

हर्षित शर्मा

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Sombir Sharma - Journalist

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