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हिंदू आईटी सेल के विकास पांडे ने राना अयूब पर दर्ज़ कराई एफआईआर, पढ़िए जन की बात की रिपोर्ट

विपिन श्रीवास्तव, जन की बात

विवादित पत्रकार राणा अयूब ने कोविड -19 के दौरान झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों और प्रवासी मजदूरों की मदद करने के नाम पर करोड़ों रूपए का चन्दा इकठ्ठा किया था। जिसके बाद अब उनपर इसी चंदे के घोटाले के आरोप लगे हैं, और उनपर गाजियाबाद में हिन्दू आईटी सेल की तरफ से FIR दर्ज की गयी है।

इस मामले में विकास सांकृत्यायन द्वारा हिन्दू आईटी सेल (HIC) की तरफ से राणा अयूब पर मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी, संपत्ति का बेईमानी से दुरूपयोग, धर्मार्थ के नाम पर आम जनता से अवैध रूप से धन प्राप्त करके विश्वास का उल्लंघन करने आदि के आरोपों में केस दर्ज कराया गया है।

HIC से प्राप्त FIR की कॉपी में लिखा गया है की, सोशल मीडिया के माध्यम से मुझे पता चला है कि राणा अय्यूब ने “केटो” के माध्यम से तीन अभियानों में ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म से करोड़ों की एक बड़ी राशि जुटाई थी। अप्रैल-मई 2020, जून-सितंबर 2020 और मई-जून 2021 की अवधि के दौरान उन्होंने निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए यह राशि जुटाई थी-

(i) झुग्गीवासियों और किसानों के लिए फंड

(ii) असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य और

(iii) भारत में कोविड-19 प्रभावित लोगों के लिए सहायता।

 

यहां यह उल्लेख करना उचित है कि राणा अय्यूब पेशे से पत्रकार और बिना किसी सरकार से अनुमोदन/प्रमाण पत्र/पंजीकरण के विदेशी धन प्राप्त कर रहीं थीं, जो विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, 2010 के अनुसार आवश्यक है। इसलिए, वह FCRA के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए भी उत्तरदायी है।

यहां यह उल्लेख करना सबसे महत्वपूर्ण है कि हमने संबंधित अधिकारियों को उक्त अवैधता के बारे में सूचित करते हुए एक शिकायत दर्ज की थी और उक्त शिकायत भी इसके साथ संलग्न है। तत्पश्चात, 3 जून 2021 को एक RTI दायर की गई जिसमें संबंधित प्राधिकारी से उक्त शिकायत पर की गई कार्रवाई के बारे में पूछा गया,जिस पर बताया गया कि अभी जांच चल रही है।

केटो के अनुसार, “पूछताछ करने पर प्रचारक ने सूचित किया है कि प्राप्त कुल धनराशि में से (लगभग 1.90 करोड़ रुपये (नेट) और 1.09 लाख अमरीकी डालर (नेट) जुटाए गए हैं, जिसमें से कुल 2.69 करोड़ लगभग का केवल एक हिस्सा (लगभग 1.25 करोड़) खर्च किया गया है, और कुछ राशियाँ टैक्स (लगभग 90 लाख) के रूप में भुगतान किया जाएगा। इन डेबिट के बाद भी शेष राशि प्रचारक के पास रहती है।”

मुझे यह भी प्रतीत होता है कि वह अवैध रूप से इतना धन प्राप्त करके मनी लॉन्ड्रिंग के लिए भी प्रयोग कर रही है। यहां यह उल्लेख करने योग्य है कि केटो के दाताओं के पत्र के अनुसार, जनता को बड़े पैमाने पर यह बताया गया है कि पैसा Garb of Donation Cum Funds में जुटाए गए धन का उपयोग नहीं किया गया। जिस उद्देश्य के लिए उन्हें लिया गया था और यह इतना भयावह है कि उक्त धन अभी भी राणा अयूब के खातों में पड़ा हुआ है।

आपको बता दें की इस मामले पर जन की बात के विपिन श्रीवास्तव ने शिकायतकर्ता विकास संकृत्यायन से बात की और इस मामले पर जानकारी ली। विकास ने बताया की राणा अयूब ने पिछले वर्ष कोविड-19 के दौरान झुग्गी-झोपडी में रहने वालों और प्रवासी मजदूरों की मदद के नाम पर करोड़ों का चंदा देश और विदेश से इकठ्ठा किया। लेकिन जिस काम के लिए यह चन्दा लिया गया वो काम नहीं किया गया। इसके बजाये यह सारी धनराशि उन्होंने अपने निजी उपयोगों के लिए खर्च की। उन्होंने बताया की यह सारी धनराशि जो चंदे के रूप में इकट्ठी की गयी वो पूरी तरह अवैध रूप से इकट्ठी की गयी है। जब इस धनराशि का राणा अयूब से हिसाब माँगा गया तो उनकी तरफ से इसका अभी तक कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया है। बल्कि वह इस मामले में सबको गोल – गोल बातें बताकर गुमराह कर रही हैं। विकास ने यह भी शंका जताई की राणा अयूब इस धनराशि को देश विरोधी गतिविधियों में प्रयोग कर रही हैं। विकास ने बताया की हमने पुलिस से मांग की है की इस मामले की पूरी तरह से जांच होनी चाहिए और राणा अयूब पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।

आपको बता दें की इससे पहले भी राणा अयूब कई बार विवादों में आती रही हैं। इससे पहले उनका नाम बुलंदशहर के 72 वर्षीय एक व्यक्ति का फर्जी वीडियो वायरल करने के मामले में भी आया था। इस वीडियो में व्यक्ति ने चार लोगों पर मारने-पीटने, दाढ़ी काटने और अपहरण करके जय श्रीराम नारा बोलने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था। गाजियाबाद पुलिस ने हालांकि बाद में यह पाया कि वीडियो में बजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति के लगाए गए आरोप झूठे हैं। उसने एक राजनीतिक कार्यकर्ता के इशारे पर ये आरोप लगाए थे।

 

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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