विशाल, जन की बात
महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का कोई पता नहीं चल पा रहा है जिन पर कई मुकदमे चल रहे हैं और अब महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनका वेतन भी रोक दिया गया है।महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि परमबीर सिंह का कोई पता नहीं चल पा रहा है और अब महाराष्ट्र सरकार उन्हें इंटेलिजेंस ब्यूरो की सहायता से भगोड़ा भी घोषित कर सकती है।
कई आरोपों से घिरे पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को पुलिस ने 9 अक्टूबर को समन भेजा था किंतु वह हाजिर नहीं हुए और तब से उनका कोई पता नहीं चल पा रहा है।परमबीर सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के लिए मुंबई क्राइम ब्रांच ने सेशन कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
परमबीर सिंह के खिलाफ कई अपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और उनके भारत छोड़कर रूस जाने की खबरें समाचार में आने के बाद से महाराष्ट्र सरकार उनके खिलाफ एक्शन में है।एक मुकदमा बिल्डर और होटल कारोबारी विमल अग्रवाल के द्वारा दर्ज कराया गया है जिसमें उनका आरोप है कि परमवीर सिंह ने उनसे होटल पर छापा ना मारने के लिए 9 लाख रुपए लिए थे और उन्हें पैसों के लिए परेशान भी किया करते थे।
इस मुकदमे के तहत परमबीर सिंह के अलावा कुछ अन्य बर्खास्त पुलिस अधिकारी सुमित सिंह,अल्पेश पटेल,सचिन वाजे,विनय सिंह और गैंगस्टर गिरोह के रियाज भाटी अभियुक्त हैं। बता दें कि पुलिस अधिकारी परमबीर सिंह 1988 बैच के आईपीएस हैं और वह मुंबई के पुलिस आयुक्त,भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक तथा थाने के पुलिस आयुक्त भी रह चुके हैं।
परमबीर सिंह ने 20 मार्च को तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाया कि तत्कालीन सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे को मुंबई के बिल्डर और कारोबारियों से हर महीने 100 करोड़ रुपए जमा करने को कहा था जिसके बाद मुंबई उच्च न्यायालय के आदेश से उनके खिलाफ जांच शुरू की गई और वह तब इस्तीफा दे दिए थे।