विपिन श्रीवास्तव, जन की बात
उत्तर प्रदेश को विकास के मार्ग पर दौड़ाने की चाह में यूपी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा जनता को समर्पित कर दिया जाएगा।
आज दोपहर बाद से उत्तर प्रदेश के लोग यूपी सरकार के इस महत्वकांक्षी परियोजना पर फर्राटा भरना शुरू कर देंगे।
22,494.66 करोड़ की लागत से बना एक्सप्रेसवेपू
र्वांचल एक्सप्रेस की कुल लागत 22,494.66 करोड़ रुपये है, और इस वर्ष इस एक्सप्रेसवे पर जनता को कोई भी टोल नही देना पड़ेगा, लोग इस एक्सप्रेसवे पर लखनऊ से बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर, आजमगढ़ व मऊ से गाजीपुर तक का सफर कर सकेंगे।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी (यूपीडा) ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र के विकास का बड़ा मार्ग खोला है। राज्य सरकार का प्रोजेक्ट अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर के साथ ही साथ आर्थिक रूप से कम विकसित जनपदों आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर को प्रदेश की राजधानी लखनऊ से जोडऩे का बड़ा काम करेगा। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे लखनऊ में सुल्तानपुर रोड (एनएच-731) पर ग्राम चांदसराय, से प्रारंभ होकर यूपी-बिहार सीमा से 18 किलोमीटर पहले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 पर स्थित गाजीपुर के ग्राम हैदरिया पर समाप्त होगा। एक्सप्रेसवे की लंबाई 340.824 किलोमीटर है।
यह एक्सप्रेसवे छह लेन चौड़ा है, इसको आठ लेन का भी विस्तार दिया जा सकता है। एक्सप्रेस-वे के एक ओर सर्विस रोड स्टैगर्ड रूप में बनाई गई है। जिससे परियोजना के आस-पास के गांव के निवासियों को एक्सप्रेसव पर सुगम आवागमन की सुविधा उपलब्ध हो। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर कुल छह टोल प्लाजा, 18 फ्लाईओवर, सात रेलवे ओवर ब्रिज, साथ बड़े सेतु, 118 छोटे सेतु, 13 इंटरचेंज, पांच रैम्प प्लाजा, 271 अंडरपास तथा 503 पुलियों का निर्माण हुआ है।
एक्सप्रेसवे पर टिका यूपी का चुनावी गणित
उत्तर प्रदेश में कुछ माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे भाजपा सरकार के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसके जरिए भाजपा खासकर पूर्वांचल में वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए जुट गयी है. चुनावी साल में एक्सप्रेस-वे का शुभारंभ होने से भाजपा को रफ्तार मिल सकती है. इसी कारण सरकार का पूरा अमला इसकी ब्रांडिंग में जी-जान से जुटा है. प्रधानमंत्री मोदी के हाथों इसका उद्घाटन होगा, जिससे पूर्वांचल के वोटरों को एक बड़ा संदेश जाए. भाजपा के लिए पूर्वांचल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृहजनपद गोरखपुर और प्रधानमंत्री की संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी इसी में शामिल है। दूसरी तरफ भाजपा इस एक्सप्रेसवे के जरिये अमेठी से कांग्रेस और आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर से समाजवादी पार्टी के वोटरों को लुभाने का भी प्रयास करेगी।
बीजेपी का गढ़ है पूर्वांचल
आपको बता दें कि 2014 का लोकसभा चुनाव हो या 2017 का विधानसभा चुनाव या फिये 2019 का लोकसभा चुनाव, बीजेपी को हर बार ही यहां से अच्छी सफलता मिली है।
और इसी सफलता को बरकरार रखने के लिए भाजपा यहां पर अच्छा खासा जोर लगा रही है। इसी कारण खुद प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह ने यहां की कमान अपने हांथों में सभाल रखी है. यूपी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पूरी तरह बनकर तैयार है. इस एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में करेंगे।
अखिलेश के लखनऊ एक्सप्रेसवे को टक्कर
भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जिले के विभिन्न मंडलों में बैठक कर अधिक से अधिक लोगों के सुल्तानपुर जनसभा में भाग लेने की व्यवस्था में लगी हुई है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताकर चुनाव में एक बड़ी उपलब्धि दिखाने का काम करेंगे। पूर्वांचल का विकास योगी प्राथमिकता पर है, पूरे इलाके में उनका एक प्रभाव है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को प्राथमिकता इसलिए भी दी गयी क्योंकि अखिलेश सरकार में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे को काफी महत्वपूर्ण माना गया और उस वक़्त के शीर्ष अधिकारी वहीं लगे रहते थे।
अखिलेश ने की थी परियोजना की शुरुआत
भले ही बीजेपी इस पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का पूरा श्रेय ले रही है लेकिन इसकी शुरुआत पिछली सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने की थी। दिसंबर 2016 में इसका शिलान्यास करते हुए अखिलेश यादव ने जनता से वादा किया था कि वो इस एक्सप्रेसवे को 30 महीने में जनता को समर्पित कर देंगे मगर इससे पहले ही जनता ने यूपी में सत्ता परिवर्तन कर दिया और अखिलेश का वादा वादा ही रह गया।