विपिन श्रीवास्तव, जन की बात
एक समय मे उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल की पहचान एक पिछड़े क्षेत्र के तौर पर होती थी। लेकिन अब भाजपा ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के जरिये विकास को रफ्तार देने की कोशिश की है और इसी एक्सप्रेसवे से होकर बीजेपी यूपी की सत्ता पर दोबारा काबिज़ होने की कोशिश कर रही है। 300 किलोमीटर लंबा ये एक्सप्रेसवे अब बीजेपी के लिए यूपी की राह को आसान बनाने वाला साबित हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव ने दस्तक दे दी है, सत्तारूढ़ बीजेपी के साथ साथ समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी तीनों ही दलों का मुख्य फोकस इस वक़्त पूर्वांचल के क्षेत्र पर है और हर कोई सत्ता हथियाने के लिए अपने अपने चुनावी हथियारों का इस्तेमाल शुरू कर चुका है। सभी दलों को मालूम है कि पूर्वांचल पर बढ़त बनाने का मतलब है कि यूपी चुनाव में सत्ता पाने में आसानी होगी।
बीजेपी के लिए क्यों महतबापूर्ण है पूर्वांचल
भारतीय जनता पार्टी के लिए पूर्वांचल इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी क्षेत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृहजनपद गोरखपुर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकसभा क्षेत्र बनारस आते हैं।
2014 लोकसभा के बाद 2017 का विधानसभा और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां भारी बहुमत प्राप्त हुआ था और बीजेपी अपने इसी बहुमत को यहां से एक बार फिर बरकरार रखना चाहेगी।
कई मायनों में अहम है पूर्वांचल
यूपी की राजनीति में अक्सर कहा जाता है कि लखनऊ की गद्दी का रास्ता पुर्वांचल से होकर जाता है। और अब तो बीजेपी ने उस रास्ते पर अपनी जीत का एक्सप्रेसवे भी बना लिया है और इसे बीजेपी पूरी ताकत से भुनाने में भी लगी हुई है। विकास के इसी मॉडल के सहारे बीजेपी पूर्वांचल में अपनी पकड़ और मजबूत करने में जुट गई है।
एक्सप्रेस-वे से करीब 9 जिले के लोगों को होगा फायदा
यह एक्सप्रेस-वे पूर्वांचल के विकास की रफ्तार को तेज कर देगा. इससे करीब 60 लाख लोगों को रोजगार मिलने का रास्ता साफ होगा। एक्सप्रेस-वे से करीब 9 जिले के लोगों को फायदा पहुंचेगा. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के सहारे बीजेपी पूर्वांचल में अपनी घेरेबंदी मजबूत करेगी। विकास मॉडल का प्रचार करेगी और 2022 में सत्ता पर दोबारा काबिज होने की भरपूर कोशिश भी होगी. अब देखना ये होगा कि एक्सप्रेस-वे की रफ्तार से बीजेपी को कितनी धार मिलती है।