पिछले 1 साल से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाप्त करने का और किसानों के घर जाने का आह्वान किया।प्रधानमंत्री मोदी ने एलान करते हुए यह कहा कि जो 3 नए कृषि कानून के बिल केंद्र सरकार लाई थी उन बिलों को सरकार वापस ले रही है।आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानून के 3 नए बिल लाए गए थे जिसके बाद किसानों ने अपना प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। देशभर के कई जगहों पर किसानों का यह प्रोटेस्ट पिछले 1 साल से ज्यादा समय से चल रहा है दिल्ली से सटे गाजीपुर बॉर्डर,टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने नेशनल हाईवे को जाम कर अपना प्रदर्शन जारी रखा आपको बता दें भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत किसानों इस प्रदर्शन को लीड कर रहे थे।किसानों की मांग थी कि सरकार इन तीनों कानूनों को वापस ले और एमएसपी की गारंटी लिखित में दे। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुक्रवार को सुबह तीन कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा करने के बाद आज किसान नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया है कि किसान आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा।टिकैत ने कहा कि हम तो उस दिन तक इंतजार करेंगे जब सरकार तीनों कृषि कानून को संसद में रद करेगी। इतना ही नहीं टिकैत ने सरकार के सामने एक और मांग रख दी है।
टिकैत ने कहा है कि सरकार किसानों के साथ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ ही किसानों के हित के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें। वह संसद में जाएं और जो भी कार्यवाही है कृषि क़ानून वापस लेने की उसको पूरा करें। आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक है, उसमें सारी चीज़ें तय होगीं। हमारी एक कमेटी बनेगी जो अलग-अलग मुद्दों पर भारत सरकार से बात करेगी।
हालांकि आने वाले कुछ महीनों में देश के पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं जिनमें उत्तर प्रदेश और पंजाब के विधानसभा के चुनाव बहुत ही अहम माने जा रहे हैं कई राजनीतिक विशेषज्ञों का यह मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा की तरफ से तीनों कृषि कानून वापस लेना एक मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है क्योंकि पंजाब और उत्तर प्रदेश से ज्यादा तादाद में किसानों का प्रदर्शन इन कानूनों के खिलाफ हो रहा था अब सरकार ने इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी तो कहीं ना कहीं आने वाले चुनाव पर इसका सीधा असर हो सकता है।