मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर हुई हिंसा को 4 दिन बीत चुके हैं, लेकिन पीछे छूटे जख्म अब तक नहीं भरे हैं. हिंसा में गंभीर रूप से घायल हुआ शिवम धीरे-धीरे ठीक हो रहा है, लेकिन अभी तक वह बोलने की स्थिति में नहीं आया है. शिवम मंदिर में पूजा करने गया था और हिंसा की चपेट में आ गया. शिवम के साथ हुए अन्याय पर गुरुवार को जनता का मुकदमा के प्राइम टाइम शो में प्रदीप भण्डारी ने मुकदमा किया.
प्रदीप भंडारी ने कहा कि, ‘राम भक्ति, सनातन भक्ति और हिंदू होना क्या अपराध है? यह सवाल मेरे साथ 100 करोड़ हिंदू पूछ रहे हैं. क्योंकि खरगोन में 16 साल का हिंदू बच्चा शिवम जो इकलौता बेटा था परिवार में उसकी कोई गलती नहीं थी. वह अपने मामा के घर से बाहर निकल रहा था, रामनवमी की शोभायात्रा में भी उसने भाग नहीं लिया, उसकी सिर्फ एक ही इच्छा थी की रामनवमी के दिन वह मंदिर जाए और यह 16 साल का बच्चा जब मंदिर के रास्ते जा रहा था तो देश के दूसरे सबसे बाहुल्य समुदाय के लोगों में से डरे हुए एक व्यक्ति ने हाथ में या तो पत्थर लिया या छर्रे वाली गोली ली और उससे शिवम को मारा, शिवम को जानता नहीं था और ना ही शिवम कभी उससे मिला.
'Shivam wasn't even part of the Shobha Yatra procession. He just wanted to offer his prayers at the temple near his home. Blood thirsty rioters from the second majority community didn't even spare him' – @pradip103's DALEEL on #JusticeForShivam campaign on @IndiaNews_itv. pic.twitter.com/MVvS5xDzWk
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) April 14, 2022
शिवम को अंदाजा भी नहीं है कि उसकी आने वाली उसकी जिंदगी कैसी होगी: प्रदीप भंडारी
सनातन की सेवा करने वाला 16 साल का शिवम जिसने तस्वीर में भगवा रंग के कपड़े पहने हैं उसकी कोई गलती नहीं थी, पर फिर भी दूसरे धर्म के व्यक्ति ने शिवम को वेंटिलेटर तक पहुंचा दिया.
शिवम को इतनी बुरी तरीके से मारा गया, अगर आप इसकी एक्सरे रिपोर्ट देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि शिवम के सर के अंदर एक छेद हो चुका है, मतलब घाव इतना गहरा था कि वह बच्चा सोच भी नहीं पाया कि उसके साथ हुआ क्या और उसको अभी पता नहीं कि आने वाली उसकी जिंदगी कैसी होगी.
हिंदू पूछ रहा है क्या वह शांति पूर्वक अपने त्यौहार नहीं मना सकता: प्रदीप भंडारी
सवाल मैं नहीं सवाल देश के 100 करोड़ हिंदू पूछ रहे हैं
कि अगर वह शांति से कानून का पालन कर रहे हैं, अगर उनको अपने त्यौहार में मंदिर जाने की इच्छा है और अगर मंदिर के बाजू में मुसलमानों इलाका है, तो कोई व्यक्ति या मुसलमान इतना ज्यादा भड़क जाए जय श्रीराम के नारे से कि एक मासूम 16 साल के बच्चे को पत्थर या छर्रे वाली गोली से ऐसे मारे की वह वेंटिलेटर में पहुंच जाएं.
मतलब तर्क समझिए, अगर मेरी आपसे किसी बात पर अलग राय हैं तो क्या मैं इतना भड़क जाऊंगा कि हाथ में हथियार उठा लूंगा, यह जवाब दिया जा रहा है कथित लिबरल लोगों द्वारा और देश के तथाकथित सेकुलर लोगों द्वारा. यह बात सिर्फ शिवम की नहीं है शिवम के साथ-साथ हर 100 करोड़ हिंदू इस बात को पूछ रहे हैं, अगर वह शांति पूर्वक अपने त्यौहार को बनाएंगे तो क्या उनके साथ भी शिवम जैसा बर्ताव किया जाएगा?