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ज्ञानवापी मस्जिद के ऐतिहासिक फैसले के बाद धार्मिक सद्गुरु रितेश्वर महाराज और स्वामी चिदानंद महाराज से प्रदीप भंडारी की एक्सक्लूसिव बातचीत 

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने सर्वे के लिए नियुक्त किए गए एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाए जाने से इनकार कर दिया. साथ ही कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने का सर्वे 17 मई से पहले कराने का आदेश दिया है. कोर्ट ने 17 मई को सर्वे की अगली रिपोर्ट देने के लिए कहा है. गुरुवार को प्रदीप भंडारी ने अपने शोध जनता का मुकदमा पर इसी अहम फैसले पर धार्मिक सद्गुरु रितेश्वर महाराज और स्वामी चिदानंद महाराज से बात की.

भारत के लिए सांस्कृतिक गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने की दिशा में एक कदम है: सद्गुरु रितेश्वर महाराज 

प्रदीप भंडारी ने सवाल किया,’सद्गुरु रितेश्वर महाराज जी बहुत बड़ा संवैधानिक फैसला आया है, किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए, पर असदुद्दीन ओवैसी को है. वह कह रहे हैं सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दीजिए इससे हिंदू मुस्लिम एकता खतरे में पड़ जाएगी.

जवाब देते हुए सद्गुरु रितेश्वर महाराज ने कहा कि, ‘प्रदीप जी आज एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक फैसला आया है. जितने भी हिंदू, मुस्लिम और राष्ट्रवादी लोग हैं उन्हें इस फैसले के बाद काफी अच्छा लगा है. क्योंकि जिस तरह 3 दिन पहले कोर्ट के वीडियोग्राफी आदेश के बाद भीड़ ने हंगामा करके कार्य में बाधा डाली, इस वजह से कोर्ट को आज बड़े कड़े निर्देश जारी करने पड़े. सनातन संस्कृति और राष्ट्रवाद के लिए ज्ञानवापी के ज्ञान कूप से बहुत कुछ निकलने वाला है. यह कोई सामान्य सर्वे नहीं है. यह भारत के लिए सांस्कृतिक गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने की दिशा में एक कदम है. कुछ ऐसे तत्व जो राष्ट्र को अपने फायदे के लिए निजी संपत्ति की तरह इस्तेमाल करते हैं , ऐसे लोगों को इस निर्णय से पीड़ा हो रही है.

अयोध्या की तरह ही ज्ञानवापी फैसले को भारी मत से स्वीकार करना चाहिए: स्वामी चिदानंद महाराज 

आगे प्रदीप भंडारी ने आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद महाराज से पूछा कि कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद कुछ लोगों को अभी भी तकलीफ हो रही है अगर विवादित जगह में मुस्लिम पक्ष के लोगों को नमाज पढ़ने की इजाजत है तो हिंदू पक्ष के लोग वहां पर 365 दिन मां श्रृंगार गौरी की पूजा क्यों नहीं कर सकते?

स्वामी चिदानंद महाराज ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि बिल्कुल गलत नहीं है. विवाद से हमेशा विरोध बढ़ता है और संवाद से हमेशा सहयोग बढ़ता है. हमें सांप्रदायिक हिंसा नहीं बल्कि क्योंकि वह संविधान से हमारा भरोसा कम करती है. हमारे पास जो सविधान है वहीं देश का समाधान है. इसलिए संवैधानिक पूर्वक जो कोर्ट के फैसले आ रहे हैं हमें उसे मानना चाहिए. जैसे भारी बहुमत ने अयोध्या के फैसले को स्वीकार किया, मैं भारत के लोगों से कोर्ट द्वारा आदेशित ज्ञानवापी सर्वेक्षण के निष्कर्षों को स्वीकार करने की अपील करता हूं’

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