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जनता के मुकदमा में कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट के भाई ने कहा- अगर राहुल की जगह रियाज़ नाम होता तो शायद वो जिंदा होता

गुरुवार को जम्मु कश्मीर के बडगाम में एक सरकारी कर्मचारी को आतंकवादियों ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। तहसील कार्यालय में मारे गए शक्स का नाम राहुल भट्ट था। शुक्रवार को प्रदीप भंडारी के शो जनता का मुकदमा में मृत राहुल भट्ट के भाई अश्विनी भट्ट आये थे।

प्रदीप भंडारी ने पूछा कि शुक्रवार को सुरक्षाबलों ने राहुल को मारने वालों को गोली मार दिया लेकिन मेरे समझ से ये काफी नहीं है आपका क्या कहना है इसपे? इसके जवाब में अश्विनी भट्ट ने कहा कि मेरे भाई के हत्यारों को सेना ने मार गिराया वो काफी नहीं है क्योंकि उनके मारे जाने से मेरे भाई वापिस नहीं आ सकता। ये आवश्यक है कि हर आखिरी आतंकवादियों को मारा न जाये तब तक राहुल भट्ट जैसे 4000 कश्मीरी हिन्दु जो घाटी में अपनी सेवा दे रहे हैं, उनकी सुरक्षित रखा जाए और जब तक आतंकवाद का खात्मा ना हो जाये हिंदुओं को बलि का बकरा बनने के लिए घाटी में ना रखा जाए।

प्रदीप भंडारी ने अपने अगले सवाल में पूछा कि राहुल की पत्नी ने कहा था कि उनको अपने जान का डर था और उन्हें ये भी सक है कि मुखबिरी करने वाला कोई बिभाग से ही है। तो उनके खिलाफ भी सही कदम उठाना चाहिये? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसे केवल राहुल भट्ट से जोर कर ना देखा जाए। घाटी में जब आतंकवाद पनपा और 5 लाख हिंदुओं को पलायन करने पे मजबूर किया गया। उसका कारण कोई आपसे रंजिश नहीं थी। उसका कारण था इस्लामिक आतंकवाद। उनकी सोच थी कि हम मुसलमान को छोड़ कर किसी और धर्म को पनपने नहीं देंगे। अभी जो सरकार ने 4000 युवकों को आस्वासन देखे भेजा कि वहाँ आतंकवाद का खात्मा हो गया है। सरकार के इस दावे की पोल खुल गयी। इस ऑफिस में 30 लोग काम करते थे जिसमे केवल राहुल ही कश्मीरी हिन्दु था। उसको चुन कर, नाम पूछ कर मारा गया। इसका एक ही निष्कर्ष है कि ये एक धार्मिक हत्या है।

प्रदीप भंडारी ने अगले सवाल में पूछा कि यह वाक्या मुझे 90 के दशक में जो क्रम शुरू हुआ था उसी की याद दिलाता और ये साफ साफ इस्लामिक आतंकवाद को दर्शाता है। इस समय मे आपकी सरकार से क्या उम्मीद है? इस सवाल के जवाब में अश्विनी कहते है कि बाहरी बात न करते हुए हम पहले अपने देश की बात करे तो अगर राहुल का नाम रियाज़ भट्ट होता तो शायद वो आज जिंदा होता, अपने फैमिली के साथ होता। मेरी मांग है कि जो खोखले दावे किए गए है कि आतंकवाद खत्म हो गया, वह जमीन पर नही दिखते। मेरी सरकार से मांग है कि हमने अपना परिवार खोया है मगर बाकी 4000 जो काम कर रहे हैं वो अपना परिवार ना खोये। मेरी मांग है कि जो अभी वहाँ काम कर रहे हैं उनका तबादला सुरक्षित स्थान जैसे जम्मू किया जाए। हम भारत के साथ हैं आतंकवाद का खात्मा करने में। आखिरी आतंकवाद खत्म होने के बाद हम खुशी खुशी अपने घर जाएंगे, लेकिन तबतक हमारे बच्चों को बलि का बकडा ना बनाया जाए। अभी कश्मीरी हिंदुओं के भावनाओं से नहीं खेलना चाहिए। भारत सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए, जिससे हमारी जान बच सके। हमारी पूरी आबादी 5 लाख से कम है और हम शांतिप्रिय लोग हैं, 100 प्रतिसत पढ़े लिखे लोग हैं। सरकार हमे बता दे कि अगर हमे अपनी सुरक्षा के लिए हथियार उठाना हुआ तो हम उठा लेंगे।

इसके बाद प्रदीप भंडारी ने कहा कि ये सिर्फ आपकी लड़ाई नही है , ये पूरे देश की लड़ाई है। आपने जो व्यक्त किया उसके साथ हूँ। मैं आपके साथ हूँ इस लड़ाई में। अश्विनी भट्ट ने आगे कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ है। आपकी माध्यम से पूरे पत्रकार समूह से एक आह्वान कर रहा हूं कि इसका बीरा उठाया जाए और निहत्थों को बलि का बकडा न बनाया जाए और यही ग़ुज़ारिश उन्होंने सरकार से भी की। इसके जवाब में प्रदीप भंडारी ने कहा कि आपके इस बात को आगे तक लेके जाऊंगा।

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